एक लाख कॉर्निया की जरूरत, मिलते हैं सिर्फ 28 हजार; कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के खात्मे के लिए एक खास पहल
भारत एक ऐसा देश है, जहां हर साल 1 लाख कॉर्निया की आवश्यकता होती है, लेकिन मिलते हैं सिर्फ 28 हजार। जबकि कॉर्नियल ब्लाइंडनेस एक ऐसी समस्या है जिसे दूर किया जा सकता है। इसके बावजूद कॉर्निया नहीं मिलने के कारण लोग अंधेरे में जीने को मजबूर होते हैं। इस पर भुवनेश्वर में एक सम्मेलन हो रहा है।
भवनेश्वर में होगा दो दिन का सम्मेलन
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में 14वां राष्ट्रीय कॉर्नियां और आई बैंक सम्मेलन हो जा रहा है। दो दिन के इस सम्मेलन का उद्घाटन शनिवार 14 सितंबर को शाम 5.30 बजे LVPEI भुवनेश्वर में होगा। आई बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया (EBAI) इस सम्मेलन का आयोजन दृष्टि दान आई बैंक और एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट (LVPEI) के सहयोग से कैंपस-6, कीट, भुवनेश्वर में कर रहा है।
इस सम्मेलन में देशभर के 250 से ज्यादा नेत्र रोग विशेषज्ञ, आई बैंक और Eye Specialist, रिसर्चर्स, नीति निर्माता और प्रशासक शामिल होंगे। यह सभी मिलकर कॉर्नियल ट्रांसप्लांट और आई बैंकिंग में नई प्रगति पर चर्चा करेंगे। आपसी सहयोग और नॉलेज शेयरिंग को बढ़ावा देना इस सम्मेलन का उद्देश्य है। जिसका अंतिम लक्ष्य देश में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस को समाप्त करना है, जो लगभग 10 लाख लोगों को प्रभावित करती है।
कॉर्नियल ब्लाइंडनेस को रोका जा सकता है, इसके बावजूद यह भारत में अंधेपन का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। आई बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया पिछले तीन दशकों से राष्ट्र सेवा कर रहा है। 937 से अधिक संस्थागत सदस्य इसके नेटवर्क से जुड़े हैं। इसमें आईबैंक और आई डोनेशन सेंटर भी शामिल हैं।
चिंताजनक बात यह भी है कि 9 लाख कॉर्नियल टिश्यू प्राप्त होने और 4 लाख 80 हजार कॉर्निया उपलब्ध होने के बावजूद, हर साल सिर्फ 28 हजार कॉर्निया टिश्यू ही सही स्थिति में मिल पाते हैं, जिससे दृष्टि बाधित व्यक्ति को रोशनी दी जा सके। जबकि देश में हर साल 1 लाख कॉर्निया टिश्यू की आवश्यकता होती है।
इस लक्ष्य को हासिल करने में सबसे बड़ी दिक्कत नेत्रदान के प्रति जागरूकता की कमी है। ईबीएआई अपने शैक्षिक कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और सम्मेलनों के जरिए इस अंतर को पाटने और अपने मिशन में पेशेवरों और जनता को शामिल करने के लिए लगातार काम कर रहा है।
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