धरती का सीना चीर, बाहर निकली विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी; खुशी से झूमे लोग

देश की तीन सबसे पवित्र नदियों में से एक सरस्वती नदी भी है। जिसके बारे में माना जाता है कि वह सदियों पहले विलुप्त हो चुकी है। लेकिन एक बार फिर सरस्वती नदी की धार फूटने से लोग काफी खुश हैं। चलिए जानते हैं, कहां फूटी सरस्वती नदी की यह धार -

Sarsavati river kapil muni sarovar

यहां फूटी सरस्वती की धार

भारत की तीन सबसे पवित्र नदियों की बात हो या प्रयागराज में तीन नदियों का संगम तो वह तीन नदियां हैं गंगा, यमुना और सरस्वती। हालांकि, माना जाता है कि सरस्वती नदी सदियों पहले विलुप्त हो चुकी है। वैज्ञानिक सरस्वती नदी के बहाव क्षेत्र को लेकर रिसर्च कर चुके हैं। कई इलाकों में जमीन के नीचे सरस्वती नदी के मौजूद होने की बात भी अक्सर सामने आती रहती है। लेकिन अब सरस्वती नदी की जलधारा फूटने की खबर आई है। इस खबर से जहां लोग आश्चर्यचकित हैं, वहीं उनकी खुशी का भी ठिकाना नहीं है। चलिए जानते हैं, कहां फूटी है सरस्वती नदी की जलधारा -

कहां फूटी सरस्वती की जलधाराप्राचीन सरस्वती नदी की जलधारा कलायत में फूटी है। बता दें कि कलायत, राजस्थान के बीकानेर जिले में है। यहां दियातरा रोड पर एक झील है और इस झील (कपिल मुनि सरोवर) को पवित्र माना जाता है। स्थानीय लोग अनेक अवसरों पर कपिल मुनि सरोवर में आकर पवित्र स्नान करते हैं। यहां स्नान के लिए कई घाट बने हुए हैं। यहां मरुस्थल के बीच इतनी सुंदर झील का होना किसी को भी आश्चर्यचकित कर देता है। कहा जाता है कि यहां पर प्राचीनकाल में कपिल मुनि का आश्रम होता था। इसी आश्रम में कपिल मुनि सरोवर है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां मेला लगता है।

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ऐसे फूटी सरस्वती की धाराकपिल मुनि सरोवर में ही यह जलधारा फूटी है। नगर निगम इन दिनों सरोवर से गंदा पानी निकालने का काम कर रहा है, ताकि उसमें स्वस्छ जल भर सके। मंगलवार 9 अप्रैल को पालिका इंजीनियर अशोक कुमार, अकाउंटेंट सचिन गिल और सुपरवाइजर सोमप्रकाश शर्मा ने यहां पानी निकासी व्यवस्था की समीक्षा की। इसी दौरान वहां कपिल मुनि सरोवर में श्मशान से सटे हिस्से में सरोवर की सतह पर बहुत सारी गोलाकार आकृतियां उभर आईं।

जब इन गोलाकार आकृतियों को करीब से देखा गया तो रेतीले चमकदार कणों से पानी की धारा बहने का पता चला। आश्चर्यजनक यह है कि गड्ढों के रूप में उफरी सभी गोलाकार आकृतियां लगभग एक ही साइज की हैं। यह भी देखने को मिला कि सरोवर में अन्य जिन हिस्सों पर पानी का स्तर घटा है, वहां ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। कपिल मुनि सरोवर में एक बार फिर से सरस्वती नदी की धारा फूटने से सरस्वती अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक भी यहां आने पर विवश हो गए हैं।

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2005 में भी फूटी थी सरस्वती की धाराइससे पहले साल 2005 में भी सरोवर के श्मशान भूमि के पास वाले हिस्से से तेज बहाव के साथ जलधारा बहने लगी थी। उस समय मंदिर के पुजारी स्वर्गीय वेदप्रकाश गौतम ने यहां तेज आवाज के साथ पानी के बहाव की सूचना विभिन्न विभागों और अधिकारियों को दी थी। उस समय भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI), कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड और कई अन्य क्षेत्रों से जुड़े वैज्ञानिक यहां पहुंचे थे। उस समय उन्होंने यहां निकल रही जलधारा को विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी का ही प्रवाह बताया था।

उस समय चेन्नई सरस्वती अनुसंदान केंद्र के तत्कालीन निदेशक डॉ. कल्याण रमन ने भी 18 दिसंबर 2005 को कलायत के कपिल मुनि सरोवर में बह रहे पानी को सरस्वती की धारा बताया था। उन्होंने कहा कि यह जलधारा सरस्वती नदी की ही धारा है। उस समय इसरो जोधपुर केंद्र के वैज्ञानिकों ने भी डॉ. कल्याम रमण की बात पर सहमति जताई थी।

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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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