चीन, कोरिया, जापान सब रह गए पीछे, ये है एशिया का सबसे अमीर गांव, जानें
गांव की दिक्कतों, परेशानियों, कमियों आदि को लेकर आपकी जो भी धारणाएं होंगी, उन सबको यह गांव तोड़कर रख देगा। बड़ी बात यह है कि एशिया का यह सबसे अमीर गांव अपने भारत में ही मौजूद है। इस गांव में ऐसी-ऐसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो कई बड़े शहरों में भी लोगों को नहीं मिलतीं।
इस गांव की अमीरी के आगे शहर भी फेल
बात जब भी गांव की होती है तो आपके जेहन में कैसी तस्वीर उभरती है? मिट्टी के कच्चे घर, धूल भरी कच्ची सड़कें, हैंडपंप, बैल गाड़ी, खेतों में काम करते किसान, इस तरह की तस्वीर आंखों के सामने तैरने लगती हैं। इसके अलावा बिना बिजली के अंधेरे में डूबा गांव, सड़क से मीलों दूरी, हुक्का गुड़गुड़ाते बुजुर्ग और दूर किसी प्राकृतिक स्रोत से पानी लाती महिलाएं और बच्चे ये तस्वीरें गांवों को परिभाषित करती रही हैं। लेकिन बात एशिया के सबसे अमीर गांव की हो तो आपको थोड़ा ठहरकर सोचना चाहिए। क्या एशिया के सबसे अमीर गांव (Asia's richest village) में भी आपको ऐसी ही तस्वीर देखने को मिलेगी? चलिए जानते हैं -
कहां है ये गांवएशिया का सबसे अमीर गांव चीन, कोरिया या जापान में नहीं बल्कि अपने भारत में है। भारत में भी हरियाणा, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में नहीं बल्कि गुजरात में है। वैसे तो सरकारों की विकास योजनाओं का लाभ उठाकर अब देशभर के गांव समृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन जिस गांव की बात हम कर रहे हैं वह गुजरात के भुज जिले में मौजूद है। जी हां, उसी भुज में जो साल 2001 में एक विनाशकारी भूकंप में तबाह हो गया था। आज भुज का यह गांव, गांवों के बारे में आपकी सारी भ्रांतियों, रूढ़ियों और धारणाओं को तोड़ देगा।
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7000 करोड़ के फिक्स डिपॉजिट वाला गांवभुज के इस गांव का नाम माधापुर (Madhapur) है। गुजरात में भुज के बाहरी हिस्से में मौजूद इस गांव को एशिया के सबसे अमीर गांव (Asia's richest village) की रूप में ख्याति मिली है। इस गांव में करीब 32 हजार लोग रहते हैं। बड़ी बात ये है कि इस गांव के पास कुल 7000 करोड़ रुपये के फिक्स डिपॉजिट हैं।
गांव में लगभग हर छोटा-बड़ा बैंकमाधापुर गांव में करीब 20 हजार मकान हैं और यहां पर ज्यादातर पटेल समुदाय के लोग रहते हैं। देश के बड़े-बड़े सरकारी और प्राइवेट बैंकों की ब्रांच इस गांव में मौजूद हैं। इस गांव में आपको SBI, ICICI बैंक, HDFC बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एक्सिस बैंक, यूनियन बैंक जैसे 15 से ज्यादा बैंकों की ब्रांच हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में ऑपरेट हो रहे अन्य सरकारी और गैर-सरकारी बैंक भी इस गांव में अपनी ब्रांच खोलने को तैयार रहते हैं।
माधापुर कैसे बना इतना अमीरमाधापुर एशिया का सबसे अमीर गांव है अपनी 65 फीसद NRI (non-resident Indian) जनसंख्या की बदौलत। यह 65 फीसद NRI जनसंख्या हर साल करोड़ों रुपये स्थानीय बैंकों और पोस्ट ऑफिस में जमा कराते हैं। जो उन्हें उनके परिवार के सदस्यों से मिलती है। माधापुर के 20 हजार घरों में से 1200 परिवार विदेश में रहते हैं। यहां के ज्यादातर लोग अफ्रीकी देशों में रहते हैं और वहां पर कंस्ट्रक्शन के बिजनेस में उनकी बड़ी पैठ है।
गांव के कई लोग अमेरिका, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी रहते हैं। यह लोग भले ही विदेश में रहते हों, लेकिन अपने गांव से बहुत ही अच्छे से जुड़े हुए हैं और गांव में जरूरी पॉजिटिव बदलाव लाने में मदद करते हैं। इकोनॉमिक्स टाइम्स ने जिला पंचायत प्रमुख पारुलबेन कारा का एक बयान छापा है, जिसमें वह बताती हैं कि यह लोग विदेश में रहते हैं, लेकिन अपनी कमाई को वहां के बैंकों में रखने की बजाय अपने गांव के बैंक में रखना पसंद करते हैं।
ऐसी सुविधाओं के लिए शहर भी तरसते हैंगांव में मौजूद एक नेशनलाइज बैंक की ब्रांच के मैनेजर का कहना है कि NRI से आने वाले पैसे से यह गांव अमीर हुआ है। उन्होंने बताया कि इस गांव में सभी सुविधाएं मौजूद हैं, जिसमें पानी, साफ-सफाई, सड़कें शामिल हैं। गांव में कई बंगले बने हुए हैं, सरकारी और प्राइवेट स्कूल, कॉलेज, हेल्थ सेंटर हैं, झीलें और मंदिर भी हैं।
गांव के नाम से लंदन में माधापुर विलेज एसोसिएशन भी बनाई गई है। इस एसोसिएशन का मकसद आपस में मेलजोल बढ़ाने के साथ ही विदेशों में गांव की छवि को बेहतर बनाना है।
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