Ayodhya Ram Mandir: रामलला के भवन में होंगे 44 द्वार, इस शैली में हो रहा मंदिर का निर्माण
Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या के राम मंदिर को परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। यह मंदिर तीन तल का होगा, जिसमें 44 द्वार होंगे। मंदिर में लॉकर और मेडिकल के अलावा बहुत सी सुविधाएं दी गई हैं।
अयोध्या राम मंदिर (फोटो साभार - ट्विटर)
मंदिर की पहली मंजिल पर होगा श्रीराम दरबार
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से सोशल मीडिया मंच एक्स पर दी गई जानकारी के अनुसार, अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषता के बारे में बताया गया है। मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी। मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे। मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा।
सिंहद्वार से होगा राम मंदिर में प्रवेश
राम मंदिर में 5 मंडप होंगे- नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप। इसके साथ ही खंभों व दीवारों में देवी-देवता और देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा। दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी। मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी। परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा।
मंदिर के पास पौराणिक काल का सीताकूप
ट्रस्ट की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार, मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे। आगे बताया गया है कि दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है एवं वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है। मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है। मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (आरसीसी) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।
मंदिर परिसर में लॉकर और मेडिकल की सुविधा
मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे। 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी। मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी। मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70 फीसदी क्षेत्र सदा हरित रहेगा। राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य अयोध्या राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का कहना है कि राममंदिर का निर्माण अपने आप में अनूठा है। इसमें कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। जरूरत पड़ने पर कॉपर का प्रयोग हुआ है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | शहर (cities News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
Greater Noida में ट्रांसपोर्टर की दबंगई, टोल टैक्स मांगने पर की बदसलूकी; कर्मचारियों को पीटा
Sultanpur News: चलती बस से पान थूक रहा था यात्री, बैलेंस बिगड़ा और हो गई मौत
नासिक में ठंड का असर, दिल्ली में 9 डिग्री तक लुढ़का पारा, तूफान 'फेंगल' इन राज्यों में मचाएगा कहर
दिल्ली के चार इलाकों में AQI 400 पार, इन राज्यों की हवा में आया सुधार
Surat: अलाव ताप रहीं थी तीन लड़कियां, आग से निकला धुआं और सभी की मौत
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited