Ayodhya Ram Mandir: मंदिर के लिए चुनी गई रामलला की मूर्ति, इस कलाकार की कारीगरी को किया गया फाइनल
Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दिन कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई मूर्ति लगाई जाएगी। राम मंदिर के लिए रामलला की तीन मूर्तियां अलग-अलग मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई थी, जिसमें से एक मूर्ति का चयन कर लिया गया है।
राम मंदिर के लिए चुनी गई मूर्ति (फोटो साभार - ट्विटर)
Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या के भव्य राम मंदिर के लिए रामलला की मूर्ति का चयन कर लिया गया है। राम मंदिर के लिए तीन मूर्तियां बनाई जा रही थी। जिसमें से एक मूर्ति को चुन लिया गया है। मंदिर के लिए कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज की मूर्ति को चुना गया है। अरुण योगीराज की बनाई रामलला की मूर्ति 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के दिन राम मंदिर में लगाई जाएगी। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने सोशल मीडिया पर इस संबंध में जानकारी दी।
प्रहलाद जोशी ने एक्स पर दी जानकारी
प्रहलाद जोशी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि 'जहां राम हैं, वहां हनुमान हैं। अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मूर्ति का चयन हो गया है। हमारे देश के फेमस मूर्तिकार, हमारे गौरव अरुण योगीराज की बनाई गई भगवान राम की मूर्ति अयोध्या में स्थापित की जाएगी।' उन्होंने आगे लिखा कि 'यह राम और हनुमान के अटूट रिश्ते का एक और उदाहरण है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हनुमान की भूमि कर्नाटक से रामलला के लिए यह एक महत्वपूर्ण सेवा है।'
रामलला की मूर्ति के मानक
रामलला की मूर्ति बनाने के लिए कुछ मानकों को तय किया गया था, इन्हीं के आधार पर मंदिर के लिए मूर्ति का चयन किया गया। इन मानकों में पहला यह था कि मूर्ति की कुल ऊंचाई 52 इंच होनी चाहिए, भगवान राम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हों, उनका मस्तक सुंदर, आंखे बड़ी और ललाट भव्य हो। इसके अलावा उनके हाथ में तीर-धनुष हो, उनकी मूर्ति खड़ी मुद्रा में कमल दल हो और मूर्ति में पांच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलकनी चाहिए।
मूर्ति के लिए चुने गए राजस्थान-कर्नाटक के पत्थर
रामलला की मूर्ति बनाने के लिए 12 पत्थरों को मंगवाया गया था, जिनमें नेपाल की गंडकी नदी समेत कर्नाटक, राजस्थान और उड़ीसा के उच्च गुणवत्ता वाले पत्थर शामिल थे। जिन्हें परखने के बाद राजस्थान और कर्नाटक के पत्थरों को चुना गया। राजस्थान के मकराना की संगमरमर शिला की चमक सदियों तक बनी रहती है, यह शिला बहुत कठोर होती है और यह नक्काशी के लिए बहुत अच्छी होती है, वहीं कर्नाटक की श्याम शिला भी जलरोधी और आयु में लंबी होती है, इन पर नक्काशी भी आसानी से होती है।
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