Mandar Parvat: मंदार पर्वत जिससे हुआ था समुद्र मंथन, निकले थे 14 रत्न और विष, जानें कहां है ये पहाड़
बिहार में कई ऐतिहासिक जगहें हैं, जिनका इतिहास चौंका देने वाला है। उन्हीं में एक है मंदार पर्वत। यह वही पर्वत है, जिसका प्रयोग समुद्र मंथन में देवताओं और दैत्यों द्वारा किया किया गया था। आज भी इस पर्वत पर इसके साक्ष्य मौजूद हैं।
मंदार पर्वत
Bhagalpur: बिहार में वैसे तो कई ऐतिहासिक दार्शनिक स्थान हैं, जोकि पूरी दुनिया में अपने इतिहास और सौन्दर्यता के लिए जाने जाते हैं। उन्हीं में से एक है मंदार पर्वत, जो भागलपुर से तकरीबन 45 किलोमीटर दूर बांका जिले में स्थित है। इस पर्वत का जिक्र पुराणों और महाभारत में भी किया गया है, जिसके अनुसार देवताओं और दैत्यों ने अमृत पाने कि लए एक साथ मिलकर इसी मंदार पर्वत से समुद्र मंथन किया था। संबंधित खबरें
ऐसा माना जाता है कि जब दैत्यों ने पूरे राज्य पर कब्जा कर लिया था, तो देवता गण भयभीत होकर भगवान विष्णु के शरण में गए थे। जिसके बाद भगवान ने इंद्र को दैत्यों के साथ समुद्र मंथन कर अमृत पान करने की सलाह दी थी। इस मंथन में मदार पर्वत मथानी के तौर पर काम आया था। कहते हैं देवता और दैत्यों ने साथ मिलकर इस पर्वत को दोनों तरह से पकड़ कर समुद्र को मथा था।संबंधित खबरें
नाग को रस्सी की तरह किया गया प्रयोगसंबंधित खबरें
फलस्वरूप इसमें से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी। इसमें से निकलने अमृत का पान देवताओं ने किया था। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन में नाग को रस्सी की तरह इस्तेमल किया गया था, जिसके साक्ष्य मंदार पर्वत आज भी लकीर के रूप में मौजूद हैं। संबंधित खबरें
भगवान शिव का पहला निवास स्थानसंबंधित खबरें
साथ ही इसमें से कालकूट नामक विष भी निकला था, जिसको भगवान शिव ने पिया और इसे अपने गले में ही रोक लिया था। इसी वजह से उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ नाम से पूजा जाने लगा। पुराणों में वर्णित है कि मंदार श्रेत्र को त्रिलिंग प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्वत को हिमालय से भी ज्यादा पुराना माना जाता है। कहते हैं कि भगवान शिव का पहला निवास स्थान भी मंदार पर्वत ही था।संबंधित खबरें
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Maahi Yashodhar author
माही यशोधर Timesnowhindi.com में न्यूज डेस्क पर काम करती हैं। यहां वह फीचर, इंफ्रा, डेवलपमेंट, पॉलिट...और देखें
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