सबक देने वाला फैसला: जितने दिन निर्दोष जेल में रहा, उतने दिन लड़की भी सजा काटेगी
झूठे आरोप में उन्हें चार साल, 6 महीने, 8 दिन यानी कुल 1653 दिन जेल में गुजारने पड़े। उन्होंने रात-दिन तकलीफ सहन की, लेकिन इंतजार किया। जिसके बाद वह वक्त आया जब, सच की जीत हुई और झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ कोर्ट ने सुनाया यह फैसला-
झूठे आरोप लगाने वाली युवती जेल में काटेगी सजा
Bareilly News: माना कि भारत एक पुरुष प्रधान देश है। लेकिन, यह कहां तक सही है कि महिलाएं अपनी नीजी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पुरुषों पर बेवजह के आरोप लगाएं? उन्हें बिना किसी जुर्म के सजा दिलाएं, उनके जीवन से खिलवाड़ करें या उसके चरित्र पर झूठा लांछन लगाएं? हमेशा पुरुष ही गलत है या हमेशा महिलाएं ही निर्दोष हैं यह सिर्फ कह देने भर से साबित नहीं होता। आज महिलाएं इक्वालिटी की बात करती हैं। मर्दों से कंधे से कंधे मिलाकर चलती हैं, तो फिर उनसे बराबरी में लड़ती क्यों नहीं? क्यों अपने गुस्से या अपनी नीजी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए रेप विक्टिम बन जाती हैं ? या क्यों पुरुष बराबरी की टक्कर दे रही महिलाओं को जब किसी और तरीके से नीचा नहीं दिखा पाता तो उसके चरित्र पर उंगली उठाने लगता है ? ऐसा ही कुछ हुआ है अजय उर्फ राघव के साथ, जो निर्दोष थे, मगर रेप के झूठे आरोप में उन्हें चार साल, 6 महीने, 8 दिन यानी कुल 1653 दिन जेल में गुजारने पड़े। उन्होंने रात-दिन तकलीफ सहन की, लेकिन इंतजार किया। आखिरकार जीत सत्य की हुई। युवती का झूठ ज्यादा दिन टिक नहीं पाया और वह अपने ही बयानों में ऐसी उलझी कि सच सामने आ गया।
युवती पर लगा पांच लाख 88 हजार का जुर्माना
मामले कि सुनवाई में अपर सेशन जज-14 ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने आदेश दिया कि जितने दिन निर्दोष व्यक्ति को जेल में काटने पड़े हैं, उतने ही दिन युवती को कारावास की सजा दी जाए। साथ ही पांच लाख 88 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की ये राशि पीड़ित व्यक्ति को दी जाएगी।
2 सितंबर, 2019 का है मामला
मामला 2 सितंबर, 2019 का है, जब एक महिला ने अजय के खिलाफ केस कराया कि उसकी नाबालिग बेटी को दिल्ली ले जाकर रेप किया। कुछ दिन बाद पुलिस ने अजय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उस समय लड़की नाबालिग बताई गई, जो साल 2022 में बालिग हो चुकी थी। आज उस युवती की शादी भी हो चुकी है।
निर्दोष ने जेल में काटे 1653 दिन
13 अक्टूबर, 2023 को उसने तत्कालीन स्पेशल जज (फास्ट ट्रैक) निर्दोष कुमार के सामने आरोप दोहराए। 8 फरवरी, 2024 को उसके बयान बदल गए थे। लेकिन, दोबारा बयान होने पर उसने स्वीकारा कि अजय ने दुष्कर्म नहीं किया था। इसकी जानकारी पर कोर्ट ने अजय उर्फ राघव को बरी कर दिया। उसी दिन 340 सीआरपीसी के तहत तत्कालीन कोर्ट के पेशकार ने सीजेएम कोर्ट को गुमराह करने का परिवाद दर्ज कराया। उसमें युवती के झूठे बयान का उल्लेख किया गया था। 12 फरवरी को सेशन कोर्ट में मुकदमा शुरू हो गया। सरकारी वकील सुनील पांडेय ने कहा कि झूठे आरोप के कारण निर्दोष व्यक्ति को 1653 दिन जेल में काटने पड़े, झूठी गवाही पर उम्रकैद भी हो सकती थी।
कोर्ट ने युवती को माना आरोपी
सरकारी वकील के अनुसार रेप का झूठा आरोप लगाने पर युवती को सजा का जिले में पहला मामला है। पहले लगा गए आरोप के आधार पर युवती की मां ने एफआईआर थी। विवेचना के दौरान लड़की कहती रही कि बलात्कार हुआ है। कोर्ट में आरंभिक बयान में भी उसने यही दोहराया। इसके बाद मुख्य बयान में अचानक पलट गई। आरंभिक बयान में उसने दुष्कर्म की बात कही थी, मगर यह सच नहीं है। सच यह है कि मेरे साथ दुष्कर्म नहीं हुआ। उसके बयान बदलने पर संदेह जताया गया कि संभव है कि प्रलोभन में आकर ऐसा किया गया हो, रुपये वसूलने के लिए झूठे आरोप लगाए हों। बयान बदलने पर संदेह गहराने पर कोर्ट ने लड़की को ही मुख्य आरोपित मानकर कारावास की सजा सुनाई।
महिलाओं को पुरुषों पर आघात की छूट नहीं
इस मामले में उपर सेक्शन जज, ज्ञानेंद्र त्रिपाठी का कहना है कि अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पुलिस व न्यायालय को माध्यम बनाना घोर आपत्तिजनक है। अनुचित लाभ लेने के लिए महिलाओं को पुरुषों के हितों पर आघात की छूट नहीं दी जा सकती।
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माही यशोधर Timesnowhindi.com में न्यूज डेस्क पर काम करती हैं। यहां वह फीचर, इंफ्रा, डेवलपमेंट, पॉलिट...और देखें
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