Basant Panchami 2024: कटिहार का वह मंदिर, जहां सालभर होती है सरस्वती पूजा, कालीदास से जुड़ा है इतिहास
Basant Panchami: हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का त्योहार विशेष महत्व रखता है। हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी मनाया जाता है। लेकिन बिहार में एक ऐसी जगह है, जहां पूरे साल मां सरस्वती की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ा इतिहास।
कटिहार, सरस्वती मंदिर
Basant Panchami 2024: हिंदू धर्म में बसंत पंचमी के त्योहार का खास महत्व है। हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी मनाया जाता है। ऐसे में आज हम आपको सरस्वती पूजा के मौके पर एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जहां मां सरस्वती की पूजा साल में एक बार नहीं, बल्कि पूरे साल यहां माता सरस्वती की अराधना की जाती है। तो आइए जानते हैं कहां है यह मंदिर और क्या है इससे जुड़ा इतिहास।
बिहार के कटिहार जिले के बारसोई प्रखंड में एक गांव है, जहां एक बहुत ही पुराना सरस्वती मंदिर है। इस मंदिर में पूरे साल माता की पूजा-अराधना की जाती है। कटिहार के लोगों का मानना है कि इसी मंदिर में कालीदास ने भी सरस्वती की आराधना की थी। इस मंदिर से लोगों की अटूट आस्था जुड़ी है।
गांववासियों की अराध्या मां सरस्वती
आपको बता दें कि यहां के गांववासियों की आराध्य मां सरस्वती ही हैं। यहां रोज नियमानुसार सरस्वती की पूजा की जाती है। मंदिर में माता सरस्वती के साथ ही माता महाकाली और महागौरी भी विराजमान हैं। जिन्हें नील सरस्वती कहा जाता है।
महाकवि कालिदास ने की थी आराधना
मान्यताओं के अनुसार कालीदास ने अपनी पत्नी से दुत्कारे जाने के बाद, इसी मंदिर में सरस्वती की अराधना की थी। इसी जगह पर एक वाड़ी हुसैनपुर नाम की एक जगह है, जहां से उनकी पत्नी थी। इसलिए इस जगह को उनका ससूराल भी बताया जाता है। हालांकि उन्हें यहां ज्ञान प्राप्त हुआ था या नहीं इसका कोई भी इतिहास नहीं है। लेकिन इसे पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता है।
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माही यशोधर Timesnowhindi.com में न्यूज डेस्क पर काम करती हैं। यहां वह फीचर, इंफ्रा, डेवलपमेंट, पॉलिट...और देखें
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