खुशखबरी: NCR के किसानों की होगी बल्ले-बल्ले, दादरी के 4 गावों में बनेगी टाउनशिप , रोजगार के साथ फ्री मिलेगा मकान

Dadri Township : बीडीए दादरी की 250 एकड़ जमीन पर नई टाउनशिप बसाने जा रही है। यह पहला मौका है जब बीडीए किसानों को अधिग्रहित जमीन के बदले छह प्रतिशत विकसित भूखंड देने का मसौदा तैयार किया है।

दादरी में बनेगी टाउनशिप

Dadri Township : एनसीआर से जुड़े दादरी के चार गांव के किसानों की बल्ले-बल्ले होने वाली है। बुलंदशहर विकास प्राधिकरण (BDA) दादरी की 250 एकड़ जमीन पर नई टाउनशिप बसाने जा रही है। यह पहला मौका है जब बीडीए किसानों को अधिग्रहित जमीन के बदले छह प्रतिशत विकसित भूखंड देने का मसौदा तैयार किया है। हालांकि, किसानों से विकास शुल्क लिया जाएगा। उन्हें सिर्फ 90 प्रतिशत जमीन का ही मुआवजा प्राधिकरण देगा। BDA का दावा है कि इस टाउनशिप में आवासीय कमर्शियल और इंडस्ट्रियल भूखंड होंगे, जहां पर लोगों को रोदृजार के साथ आवासीय सुविधा भी दी जाएगी।

इन गांवों में बसेगी टाउनशिप

बुलंदशहर प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में गौतमबुद्ध नगर की दादरी तहसील के भी कुछ गांव आते हैं। हिंदुस्तान में छपी खबरे के हवाले से बीडीए सचिव ज्योत्सना यादव का कहना है कि 225 हेक्टेयर में विकसित होने वाली इस टाउनशिप के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। टाउनशिप का निर्माण दादरी के गांव कैमराला, चक्रसैनपुर तथा घोड़ीबछैड़ा और चमरावली रामगढ़ की जमीन पर होना तय है। इसके लिए किसानों से आपसी समझौते के आधार पर जमीनें ली जा रही हैं और उसके एवज में उचित मुआवजे के साथ अन्य सुविधाएं देने पर बात बनी है।

जानें क्या है योजना

इस प्रोजेक्ट की सबसे खास बात यह है कि प्राधिकरण पहली बार छह प्रतिशत के भूखंड दादरी के इन गांवों के किसानों को देगा। छह प्रतिशत का जो भूखंड मिलेगा, उसके लिए विकास शुल्क देना होगा। यह 7300 रुपये प्रति वर्ग मीटर होगा, जो आवंटन पत्र जारी होने के बाद तीन माह में जमा करना होगा। यदि किसी किसान का 6 प्रतिशत का भूखंड 15 मीटर या उससे कम का बनता है तो उसे भूखंड नहीं मिलेगा और 15 मीटर से अधिक बनने पर न्यूनतम 40 मीटर तथा अधिकतम 2500 मीटर का भूखंड प्राधिकरण द्वारा दिया जाएगा।
बीडीए के मुख्य कोषाधिकारी संतोष कुमार के मुताबिक, विकसित भूखंड का स्टांप शुल्क और रजिस्ट्री शुल्क किसानों को ही देना होगा। इसके अलावा फ्री होल्ड चार्ज, कार्नर चार्ज आदि का भुगतान भी किसानों को ही करना होगा।
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