Bengaluru Blast: पटना में बैठी मां ने बचा ली रामेश्वरम कैफे गए अपने बेटे की जान
मां भगवान का रूप होती है और यह एक बार फिर दिखा बेंगलुरू में हुए ब्लास्ट में। कम से कम अलंकृत के लिए तो उनकी मां भगवान का रूप है। क्योंकि अगर उस समय उनकी मां का फोन नहीं आता तो घायलों की लिस्ट में उनका भी नाम हो सकता था।
मां के फोन ने बचा ली जान
मां का दर्जा दुनिया में सबसे ऊपर होता है। हिंदू संस्कृति में मां को भगवान का दर्जा प्राप्त है तो कई अन्य समाजों में कहा गया है कि मां के पैरों में जन्नत है। मां अपने बच्चे को बचाने के लिए अपने प्राणों की भी बाजी लगा देती है। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू के रामेश्वरम कैफे में हुए ब्लास्ट ने शुक्रवार को सबको दहला दिया। ब्लास्ट के समय में कैफे में ही मौजूद एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर कुमार अलंकृत ने कैफे ब्लास्ट का वीडियो भी शेयर किया था।
मां के फोन ने बचा ली जान
बात इन्हीं कुमार अलंकृत की हो रही है। अलंकृत ने बताया कि ब्लास्ट के समय वह कैफे में ही मौजूद थे। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपना ऑर्डर लिया, तभी उनकी मां का फोन आ गया। मां का फोन सुनने के लिए वह फूड काउंटर से दूर हटे और कैफे से बाहर 10-15 मीटर दूर चले गए। क्योंकि कैफे में बहुत ज्यादा शोर था। इसके कुछ ही सेकेंड बाद वहां जोरदार धमाका हुआ और सब धुआं-धुआं हो गया। अलंकृत की मां पटना में रहती हैं, लेकिन उन्होंने वहां बैठे-बैठे ही अपने जिगर के टुकड़े के प्राण बचा लिए।
बताया आंखों देखा हाल
अलंकृत ने बताया कि वहां बड़ा ही खौफनाक मंजर था। उनका कहना है कि उन्होंने इस तरह की भयावह स्थिति पहले कभी नहीं देखी। जिस समय यह ब्लास्ट हुआ, वह कैफे की व्हाइटफील्ड ब्रांच में लंच के लिए गए हुए थे। बता दें कि आधिकारिक तौर पर ब्लास्ट में 9 लोग घायल हुए हैं, जबकि अलंकृत का कहना है कि 15 से ज्यादा लोगों को चोटें आई हैं।
24 साल के अलंकृत बेंगलुरू के ब्रूकफील्ड में किराए पर रहते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने कई लोगों को बर्न मार्क्स और कान से खून निकलते हुए भी देखा है। अलंकृत ने याद करते हुए बताया कि आमतौर पर वह डोसा पिकअप प्वाइंट के पास ही लगी कुर्सियों पर बैठते हैं। लेकिन मां का कॉल आने और शोर में फोन ठीक से न सुनाई देने पर वह बाहर चले गए। उन्होंने बताया कि अभी उनकी मां से बात हो ही रही थी कि अचानक जोरदार धमाके की आवाज सुनाई दी।
मां भगवान की तरह होती है
अलंकृत कहते हैं, 'आज मैं अपनी मां की वजह से बच गया।' वह कहते हैं, अगर उस समय मां का फोन नहीं आया होता, तो मैं वह काउंटर के पास ही बैठ जाते, जैसा कि वह आमतौर पर हमेशा करते हैं। वह कहते हैं मां भगवान की तरह होती है।
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Digpal Singh author
खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्...और देखें
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