Bengaluru Water Crisis: वृषभावती परियोजना से क्या खत्म होगा बेंगलुरु का जल संंकट? सरकार के इस प्लान से कितना फायदा
Bengaluru Water Crisis: कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर मौजूदा वक्त में पानी के संकट से जूझ रही है। लिहाजा, सीएम सिद्धारमैया ने वृषभावती लिफ्ट सिंचाई परियोजना की आधारशिला रखते हुए पेयजल संकट को दूर करने की बात कही है।
वृषभावती लिफ्ट सिंचाई परियोजना की रखी गई आधारशिला
Bengaluru Water Crisis: भारत की सिलिकॉन वैली व आईटी हब का शहर बेंगलुरु जल संकट से जूझ रहा है। पेयजल से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले पानी की भारी कमी देखी जा रही है। ये हाल तब है जब भीषण गर्मी के महीने अभी दूर हैं। इसको लेकर राजनीतिक बहस भी तेज है। इसी बीच राज्य के सीएम सिद्धारमैया ने सोमवार को नेलंगला विधानसभा क्षेत्र स्थित लिफ्ट सिंचाई परियोजना की आधारशिला रखी है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना बेंगलुरु शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों खासकर, तुमकुर जिले के निवासियों की पानी की समस्या का स्थायी समाधान करेगी।
70 झीलों को पानी से भरने की परियोजना
सीएम सिद्धारमैया ने वृषभावती लिफ्ट सिंचाई परियोजना की आधारशिला रखने के बाद कहा कि हमारी सरकार ने केसी वैली और एमएन वैली पर 3000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। अब हम वृषभावती परियोजना पर 2240 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं। हमारी इस बड़ी परियोजना से आईटी शहर बेंगलुरु और ग्रामीण क्षेत्र समेत पड़ोसी जिले तुमकुर जिले के लोगों की पानी की समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा। यह पहले चरण में 70 झीलों को पानी से भरने की परियोजना है। इस प्रोजेक्ट से चारों जिलों का भूजल स्तर भी बढ़ेगा और भूमि के लिए जल समर्थन के लिए परिणाम स्वरूप लोगों को आर्थिक शक्ति में भी बढ़ोतरी होगी।
वृषभावती का उद्येश्य
- वृषभावती लिफ्ट सिंचाई परियोजना का उद्येश्य बेंगलुरु और ग्रामीण क्षेत्र समेत पड़ोसी जिले तुमकुर जिले के लोगों की पानी की समस्या का स्थायी समाधान करने का लक्ष्य है।
- वृषभावती परियोजना पर 2240 करोड़ रुपये खर्च कर क्षेत्र के बुनियादी जल ढांचे की महत्वपूर्ण आवश्कता की पूर्ति करना है।
- सीएम ने वृषभावती परियोजना को 70 झीलों को पानी से भरने की योजना बनाई है। इससे केवल जल स्त्रोतों को फिर से भर देगा, बल्कि क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को भी बढ़ावा मिलेगा।
- झीलों को पानी से भरकर टिकाऊ जल प्रबंधन प्रथाओं को लागू करके परियोजना का लक्ष्य चार जिलों में भूजल स्तर को बढ़ाना है।
- इस परियोजना से कृषि भूमि सिंचाई को मुख्य धारा से जोड़ना है। इसके विकास से स्थानीय किसान समुदायों का आर्थिक सशक्तिकरण होगा।
गर्मी ने बढ़ाई चिंता
बेंगलुरु में फरवरी महीने में ही गर्मी चरम की तरफ बढ़ रही है। लगातार बढ़ती गर्मी चिंता का सबब बनती जा रही है। हाल के दिनों में अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। माना जा रहा है कि जब अभी ये हाल हैं तो आने वाले महीनों में हालात इससे भी बदतर हो सकते हैं। ऐसे में पानी की उपलब्धता सरकार की प्राथमिकता होगी। हालांकि, अभी ही लोग टैंकरों के जरिए पानी मंगाकर रोजमर्रा की जिंदगी चला रहे हैं।
टैंकरों के सहारे बेंगलुरु, जानें कितना गहरा है जल संकट
टैंकरों पर निर्भर IT हब
पानी की किल्लत की वजह से टैंकरों की सामान्य कीमत से लगभग दोगुने दाम चुकाने पड़ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, 12,000-लीटर टैंकर की कीमतें बढ़कर 2,000 रुपये तक पहुंच गई हैं, जबकि एक महीने पहले यही कीमत 1,200 रुपये थी। पानी के टैंकर मंगाने के लिए कई दिन पहले बुक करना पड़ता है। स्थानीय लोगों का यह रोजमर्रा का कार्य बन गया है। उत्तरी बेंगलुरु के होरमावु के एक निवासी ने एक रिपोर्ट में स्थिति की वास्तविकता साझा की है। उन्होंने कहा कि पानी की कमी के कारण पौधों का जीवन खतरे में है। अभी तो अप्रैल भी नहीं आया और स्थिति गंभीर हो चली है। भूजल की कमी के कारण भुगतान के बावजूद टैंकर विक्रेताओं की अनुपलब्धता पर चिंताएं मंडरा रही हैं। शहर में जल आपूर्ति के लिए जिम्मेदार बैंगलोर जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) अतिरिक्त पानी की मांग कर रहा है। वहीं, कावेरी बेसिन अपने घटते भंडार को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है।
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