Bengaluru Water Crisis: बेंगलुरु में बूंद-बूंद को तरस रहे लोग, वर्क फ्रॉम होम की बढ़ी डिमांड

Bengaluru Water Crisis: बेंगलुरु जल संकट के चलते आईटी कंपनियां कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम देने की मांग कर रही है। पानी की कमी से जूझ रहे लोग अपने घर जाकर काम करने का आग्रह कर रहे हैं। इससे शहर के हर घर में सुविधा देने का दबाव भी कम हो जाएगा।

बेंगलुरु जल संकट के चलते लाखों IT कर्मियों को वर्क फ्रॉम होम देने की बढ़ी मांग

Bengaluru Water Crisis: बेंगलुरु में जल संकट अभी खत्म नहीं हुआ है। यहां पानी की कमी बढ़ती जा रही है और लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां की स्थिति इतनी खराब है कि कर्नाटक सरकार ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में बेंगलुरु में 500 मिलियन लीटर पानी की प्रतिदिन कमी है। वहीं कुछ अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, शहर में कम से कम 2,600 एमएलडी की जरूरत होगी। पानी की परेशानी से जूझ रहे लोगों को देखते हुए जल विशेषज्ञ और कानूनी विशेषज्ञ अस्थायी आधार पर इस समस्या से निपटने के लिए घर से काम (WFH) करने का सुक्षाव दे रहे हैं।

वर्क फ्रॉम होम की बढ़ी मांग

बेंगलुरु में जल संकट को देखते हुए आईटी कंपनियों में घर से काम करने को लेकर मांग बढ़ती जा रही है। जल संकट की इस समस्या से अस्थाई रूप से निपटने के लिए तर्क दिया गया है कि कम आबादी से शहर के हर घर में सुविधा देने का दबाव भी कम हो जाएगा। इस बीच दूसरे राज्यों से यहां आकर नौकरी कर रहे कर्मचारियों ने भी होमटाउन से काम करने के लिए कंपनियों से आग्रह किया है। पानी की बढ़ती समस्या को देखते हुए लोग अपने-अपने घर वापस जाकर वहां से काम करने की अनुमति मांग रहे हैं। हर समय पानी न होने के कारण कर्मचारियों को बिना नहाए ऑफिस जाने में भी दिक्कत हो रही है।

हाई कोर्ट के पूर्व जज ने किया WFH का समर्थन

कर्नाटक और असम के उच्च न्यायालय के पूर्व जज श्रीधर राव ने भी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम देने और होमटाउन से काम करने की मांग का समर्थन किया है। उन्हें एक इवेंट में लगभग 15 लाख आईटी कर्मियों को घर से काम करने के लिए कहा। उनका कहना है कि अगर आईटी कंपनियां घर के काम करने की अनुमति देती है तो 10 लाख से अधिक कर्मचारी अपने घर लौटेंगे। इससे बेंगलुरु में जल संसाधन के घटते स्तर पर दबाव भी कम हो जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि 2003 और 2004 के दौरान भी सूखे का सामना करना पड़ा था। लेकिन उस दौरान जनसंख्या कम होने के कारण इसका असर लोगों के दैनिक जीवन पर अधिक देखने को नहीं मिला था। इसके अलावा इस समस्या से निपटने के लिए उन्होंने झीलों से गाद निकालने जैसे तत्काल उपाय के बारे में भी कहा।
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