Bengaluru Water Crisis: 'सूख गई' सूखे से बचाने वाली झील, चुल्लुभर पानी भी नहीं बचा पक्षियों की प्यास बुझाने को

Bengaluru Water Crisis: बेंगलुरु में जल संकट बढ़ता जा रहा है। अब उत्तरी बेंगलुरु की पहचान सैंकी टैंक का भी अधिकतर हिस्सा सूखे की चपेट में आ गया है। पानी की कमी के कारण न केवल लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि पक्षियों की आबादी भी इससे प्रभावित हो गई है।

'सूख गई' सूखे से बचाने वाली झील

Bengaluru Water Crisis: बेंगलुरु में जल संकट एक बड़ा मुद्दा है। यहां लोगों को अक्सर पानी की समस्या से जूझना पड़ता है। ऐसे में यहां लोगों को टैंकरों के भरोसे दिन काटने पड़ रहे हैं। अभी हाल ही में बेंगलुरु में पानी की समस्या इतनी बढ़ गई थी कि कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों ने वर्क फ्रॉम होम की मांग शुरू की थी। ताकि वह अपने-अपने घर वापस जाकर काम भी कर सकें और उन्हें पानी की कमी से जुझना भी न पड़े। इसके साथ ही शहर में जलापूर्ति करने के लिए जल विशेषज्ञ और कानूनी विशेषज्ञों ने भी वर्क फ्रॉम होम का सुझाव दिया था। ताकी जलापूर्ति के दबाव को कम किया जा सके।

शहर में जल संकट अभी भी जारी है। इसे ध्यान में रखते हुए जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड ने शहर में पानी के उपयोग पर नए प्रतिबंध लगाए। उनके इन नियमों के अनुसार, जो उपभोक्ता प्रतिमाह 40 लाख लीटर से अधिक पानी का उपयोग करता है तो उसे 10 अप्रैल के बाद से पानी की आपूर्ति में 10 प्रतिशत की कटौती का सामना करना पड़ेगा। इस प्रकार पानी की कमी से निपटने की तैयारी की जा रही है।

सूखे की चपेट में आई सैंकी टैंक

सैंकी टैंक का निर्माण 1882 में मद्रास सैपर्स रेजिमेंट के कर्नल रिचर्ड हिराम सैंकी द्वारा किया गया था। उत्तरी बेंगलुरु की पहचान सैंकी टैंक भी अब सूखे की चपेट में आने लगा है, जबकि इस झील का रखरखाव भी अच्छी तरह से किया जा रहा था। मिली जानकारी के अनुसार झील का ज्यादातर हिस्सा सूख चुका है। इस मामले पर बात करते हुए भारतीय विज्ञान संस्थान के इकोलॉजिकल साइंस सेंटर के टी.वी. रामचंद्र बताते हैं कि वो और उनके छात्र इस झील का अध्ययन 1996 से कर रहे हैं। उन्होंने आज से पहले झील के पानी के स्तर को इतना कम होते नहीं देखा है।

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