भारत विकास परिषद का दो दिवसीय अधिवेशन संपन्न, देश सेवा पर दिया गया जोर

लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के शैक्षिक परिसर में भारत विकास परिषद का दो दिवसीय 31वां अधिवेशन संपन्न हुआ। इस अधिवेशन में राष्ट्र सेवा को परम धर्म मानते हुए, "स्वस्थ समर्थ संस्कारित भारत" के निर्माण के संकल्प को दोहराया गया।

भारत विकास परिषद का दो दिवसीय अधिवेशन।

पंजाब के फगवाड़ा का लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में राष्ट्र की सेवा को परमार्थ मानते हुए, "स्वस्थ समर्थ संस्कारित भारत" की परिकल्पना को जागृत करते हुए, "भारत विकास परिषद" के अधिवेशन का गवाह बना। यहां भारत विकास परिषद का दो दिवसीय 31वां अधिवेशन सम्पन्न हुआ। लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के शैक्षिक पावन प्रांगण में लगभग चार हजार से ज्यादा लोगों ने भारत विकास परिषद के पंचसूत्र को आत्मसात किया और देश को विकसित करने, देश शिक्षित करने, देश को संस्कारित करने का संकल्प दोहराया। दो दिन चले अधिवेशन में परिषद के संकल्प को अगले पड़ाव में ले जाने पर सार्थक चर्चा को अंजाम दिया गया।

देश सेवा पर दिया गया जोर

इस दौरान कहा गया कि देश में सामाजिक समरस्ता को बढ़ावा देने, चिकित्सा सुविधाएं निर्धन तक पहुंचाने, शिक्षा के ज्ञान का उजियारा घर-घर पहुंचाने, मलिन बस्तियों में रहने वाली मां-बहनों को एनिमियां से कैसे बचाएं, राष्ट्र निर्माण में संस्था की भूमिका क्या हो, संस्था की दशा-दिशा कैसी हो, संस्था को देश के अंतिम व्यक्ति तक कैसे पहुंचाए, देश के हर व्यक्ति बेहतर कैसे बनाए, देश के हर प्रांत में बेहतर समाज की कल्पना को कैसे जमीन पर उतारे, देश के हर व्यक्ति, देश के हर परिवार को संस्कारित कैसे करें, जैसे विषयों पर भारत विकास परिषद ने विस्तार से चर्चा को मूर्त रुप दिया। देश में परिषद के 10 क्षेत्रों की गत 2 वर्षों के कार्यों की समीक्षा भी विस्तार से की गई। साथ ही अधिवेशन में जो विचार उभरकर सामने आएं हैं, जो भी फैसले लिए गए हैं, उसपर चिंतन मनन कर सर्वसहमति से देशभर में जल्द लागू किया जाएगा।

संगठन के संकल्प को दोहराया गया

अपने समापन वक्तव्य में राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन जी ने संगठन के संकल्प को दोहराया और बताया कि इंसान को दोहरे चरित्र पर काम करना चाहिए। कुंठा से भरा व्यक्ति बेहतर समाज नहीं बना सकता। परिवार के संस्कारित होने से संगठन संस्कारित होता है। लोगों को अपने परिवार से संस्कारित करने की शुरुआत करनी चाहिए। हमारा व्यक्तित्व कैसा है, कैसा बनना चाहिए इस विषय पर विचार करना चाहिए। संगठन के कार्यकर्ताओं को अपने अंदर झांकना चाहिए। इंसान को पूज्य बनना होगा तब जाकर परिवार और समाज में पूजा होगी, पूजनीय बनेंगे। महिलाओं को आगे बढ़ाएंगे तब जाकर समाज में बदलाव आएगा। समर्पण से बेहतर समाज का निर्माण होगा। शाखा के काम काज पारदर्शी बनाने होंगे।

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