गुफाओं में उकेरी लकीरें और तस्वीरें नहीं, पूर्वजों ने यहां हमारे लिए छोड़ा है टाइम-कैप्सूल
भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर रायसेन जिले में बसी हैं भीमबेटका गुफाएं। इन गुफाओं की खासियत पाषाण काल में इन पर बनाए गए चित्र हैं। यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल का हिस्सा बन चुकीं इस जगह का संबंध महाभारत की कथा से भी जुड़ता है।

भीमबेटका गुफाओं में पूर्वजों ने छोड़े हैं अपनी सभ्यताओं के चिह्न
भीमबेटका कोई आम जगह नहीं है। खुद में मानव सभ्यता की शुरुआती निशानियां समेटे ये जगह आज की सभ्यता के लिए बेहद खास है। मानवों के खींचे सबसे प्राचीन चिह्नों में से एक, भीमबेटका में हमारे पूर्वजों ने कहीं से रंग इकट्ठा करने का और फिर दीवार पर चित्रों को उकेरने का जतन किया था। जो उनकी दिनचर्या और क्रियाकलापों का एक मिलाजुला संदेश देने की कोशिश करता है।
नाचते, वाद्य यंत्र बजाते, शिकार करते, जानवरों की सवारियां करते और शहद इकट्ठा करते यह चित्र बताते हैं कि आज से लगभग 30 हजार साल पहले ये चीजें कैसे होती होंगी।
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले का एक छोटा सा हिस्सा है, भीमबेटका। कहते हैं कि महाभारत काल में भीम का ये निवास स्थान रहा था। जिसकी वजह से इसका नाम भीमबैठका (भीमबेटका) पड़ा। साल 1957-1958 में डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर ने इस जगह पर बने अद्भुत शैलचित्रों को खोजा था। यहां 600 गुफाएं हैं जिनकी दीवारों पर करीब 275 चित्र बने हुए हैं। दुनियाभर से हजारों रिसर्चर और पर्यटक हर साल इन्हें देखने आते हैं।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से भीमबेटका की दूरी लगभग 45 किलोमीटर दूर है। विश्व की सबसे पुरानी रॉक पेंटिंग में से एक भीमबेटका की गुफाएं विंध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर स्थित हैं, इसके दक्षिण से सतपुड़ा की पहाड़ियां शुरू होती हैं। गुफाओं, शैलचित्रों से इतर भी भीमबेटका काफी खूबसूरत है।
गुफा में बनाए गए चित्रों में इस्तेमाल किए रंग पत्तियों, पत्थरों और हेमेटाइट जैसे मिनरल से बनाए हुए हैं। इन रंगों में मुख्य रूप से गेरुआ, लाल और सफेद हैं। कहीं-कहीं इस्तेमाल में पीले और हरे रंग भी दिखाई देते हैं। इन तस्वीरों में ज्यादातर इंसानों की आकृतियां हैं, जो शिकार करते, लड़ाइयां करते, नाच-गाने करते दिखते हैं। इसके अलावा इनमें जानवरों की भी खूब तस्वीरें दिखती हैं, जिनमें बाघ, शेर, जंगली सुअर, हाथी, कुत्ते और घडियाल शामिल हैं। कुछ अनुष्ठानों या धर्म से संबंधित चिह्न भी दीवारों पर बने हुए हैं, जो बताती है कि पूर्व पाषाण काल से मध्य ऐतिहासिक काल के बीच की इन गुफाओं के आस पास एक ऐसी सभ्यता बसती थी, जिसके करीब कम से कम एशिया में तो कोई नहीं आ सकता था।
भीमबेटका, जिसे 2003 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया था, वहां बनाए गए चित्रों का 10 हजार से 35 हजार साल पुराने होने का अनुमान लगाया है। गुफाओं और चित्रों के अलावा भी यहां कई चीजें मिली हैं, जिनमें प्राचीन किले की दीवार, छोटे स्तूप, पत्थर से बने मकान, शुंग-गुप्तकालीन अभिलेख, शंख अभिलेख और परमार काल के मंदिरों के अवशेष शामिल हैं।
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