Bhopal: अच्छी खबर! प्रदेश का सातवां टाइगर रिजर्व रेडी, 26 साल बाद माधवगढ़ में गूंजेगी बाघों की दहाड़, ये है पूरा प्लान
Bhopal: शिवपुरी का माधव नेशनल पार्क 7वां टाइगर रिजर्व बनने के लिए रेडी है। जिसमें जनवरी माह की 15 तारीख को 3 बाघ बसाए जाएंगे। जिसमें एक मेल व दो फिमेल टाइगर दहाड़ेंगे। वन विभाग ने माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने का मसौदा भी तैयार कर लिया है। जिसे एमपी स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की आगामी बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। प्रदेश में मंजरी मिलने के बाद इसे केंद्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजा जाएगा।
एमपी के 7वें माधव टाइगर रिजर्व में 26 साल बाद गूंजेगी बाघों की दहाड़
मुख्य बातें
- 7वें माधव टाइगर रिजर्व में 26 साल बाद गूंजेगी बाघों की दहाड़
- फर्स्ट फेज में 2 फिमेल व एक मेल टाइगर छोड़ा जाएगा
- जनवरी माह की 15 तारीख को 3 बाघ बसाए जाएंगे
Bhopal: पूरे देश में टाइगर स्टेट के नाम से विख्यात मध्यप्रदेश के इतिहास में एक नई इबारत लिखने की तैयारी हो रही है। सूबे के लोगों को आगामी नए साल 2023 में सरकार एक तोहफा देने जा रही है। बता दें कि, प्रदेश में शिवपुरी का माधव नेशनल पार्क 7वां टाइगर रिजर्व बनने के लिए रेडी है। जिसमें जनवरी माह की 15 तारीख को 3 बाघ बसाए जाएंगे। जिसमें एक मेल व दो फिमेल टाइगर दहाड़ेंगे।
फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के मुताबिक, 3 टाइगर की शिफ्टिंग के लिए आखिरी तारीख 15 जनवरी तय कर दी गई है। अब पार्क में एनक्लोजर बाड़े बनाए जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ वन विभाग ने माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने का मसौदा भी तैयार कर लिया है। जिसे एमपी स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की आगामी बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। प्रदेश में मंजूरी मिलने के बाद इसे केंद्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजा जाएगा।
2 बाघ चिह्नित 1 की तलाश जारीचीफ वाइल्डलाइफ कंजर्वेटर जसबीर सिंह चौहान के मुताबिक, एनसीटीए की ओर से पांच बाघ यहां बसाने को लेकर मंजूरी मिली है। जिसमें फर्स्ट फेज में 2 फिमेल व एक मेल टाइगर छोड़ा जाएगा। इसके लेकर बांधवगढ़ का एक नर बाघ और भोपाल की एक बाघिन को आइडेंटीफाइड कर लिया गया है। वहीं पन्ना रिर्जव में एक बाघिन की तलाश अभी जारी है।
ये है पार्क का इलाकामुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के मुताबिक, वर्तमान माधव नेशनल पार्क 354 वर्ग किलोमीटर में है, जिसका विस्तार शिवपुरी के उत्तरी सीमा से नरवर तक है। बता दें कि, सिंध नदी पर बना मड़ीखेड़ा बांध भी पार्क के अंदर मौजूद है। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, 1956 में जब इसे पार्क का दर्जा मिला था, उस समय इसका क्षेत्रफल महज 167 वर्ग किलोमीटर था। सरकार की ओर से बीते कुछ सालों में पार्क के उत्तर में बसे गांव हातोद को खाली कराने के बाद इसमें नरवर इलाके के जंगलों को जोड़ने के बाद इसका इलाका बढ़ गया। वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस टाइगर रिर्जव में आखिरी बार साल 1996 में टाइगर देखा गया था।
दो पहाड़ों के बीच बसा है हातोद गांवअपर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक शुभरंजन सेन के मुताबिक, गांव हातोद दो पहाड़ों के बीच की तलहटी में बसा हुआ है। लंबे अंतराल से यह गांव पार्क के विस्तार में बड़ी बाधा था। कानूनी प्रक्रिया के तहत सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद इस गांव को खाली करवाया गया है। बता दें कि, 5 किमी की लंबाई वाली ये तलहटी अब 26 सालों के बाद बाघों की दहाड़ से फिर से गूंजने लगेगी। गौरतलब है कि, घने जंगलों वाले इस इलाके में जंगल जीवन के लिए सबसे अहम पानी भरपूर मौजूद है। जो कि, गर्मियों के मौसम में वाइल्ड एनिमल्स के लिए सबसे जरूरी साबित होगा।
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