Bhopal: अच्छी खबर! लेक सिटी में 48 हजार स्टूडेंट्स के फ्रेश लंच की राह सुगम, करोड़ो की लागत से बनी हाईटेक किचन, ये है पूरी डिटेल

Bhopal: शाहपुरा इलाके में सूबे की प्रथम मैकेनाइज्ड किचन शुरु हो रही है। अक्षयपात्र फाउंडेशन की ओर से करीब 12 करोड़ खर्च कर इस हाईटेक किचन सेटअप तैयार किया गया है। किचन में हाइजीन का पूरा ध्यान रखा जाता है। एक घंटे में 20 हजार रोटियां बनेगी। वहीं एक बार में 12 हजार लीटर दाल, 125 किलो चावल तैयार हो सकेंगे। किचन में करीब 150 कार्मिक प्रतिदिन काम करेंगे।

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भोपाल में 12 करोड़ की लागत से निर्मित हाईटेक किचन, 48 हजार स्कूली बच्चों को मिलेगा फ्रेश लंच (फाइल फोटो)

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • 1 एकड़ में बनी हाईटेक किचन की लागत है 12 करोड़
  • 1 घंटे में 20 हजार रोटियां व 12 हजार लीटी दाल बनेगी
  • राजधानी के 48 हजार बच्चों को रोज मिल सकेगा फ्रेश लंच

Bhopal: लेक सिटी भोपाल के लोगों के लिए ये एक अच्छी खबर है। अब सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों को फ्रेश व गरम लंच मिलने की राह सुगम होगी। इसे लेकर राजधानी में एक अच्छी पहल आरंभ की गई है। शहर के शाहपुरा इलाके में सूबे की प्रथम मैकेनाइज्ड किचन शुरु हो रही है। अक्षयपात्र फाउंडेशन की ओर से करीब 12 करोड़ खर्च कर इस हाईटेक किचन सेटअप तैयार किया गया है।

इस हाईटेक किचन का लोकापर्ण सीएम शिवराज सिंह चौहान करेंगे। गौरतलब है कि, गर्वनमेंट की स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मिलने वाले मिड डे मील यानी लंच को लेकर कई प्रकार की शिकायतें मिलतीं रहती हैं। जिसमें सबसे अधिक परेशानी बच्चों को भोजन की गुणवत्ता को लेकर होती है। वहीं स्कूली शिक्षा विभाग सहित प्रशासन भी इन शिकायतों से परेशान रहता है। मगर अब राजधानी में इस परेशानी से सभी को निजात मिलेगी।

48 हजार नौनिहालों को मिलेगा फ्रेश लंचअक्षयपात्र फाउंडेशन भोपाल केंद्र प्रभारी वीरेन्द्र सिंह के मुताबिक, शहर के संत हिरदाराम नगर से मंडीदीप तक जनपद की 40 किलोमीटर की परिधि में करीब 900 सरकारी स्कूलों के 48 हजार बच्चों को रोजाना फ्रेश लंच दिया जाएगा। जिसमें किचन से स्कूल तक लंच सप्लाई के लिए करीब 19 लोडिंग वैन तैनात की जाएंगी। बता दें कि, राजधानी में ये फाउंडेशन की 66वीं हाईटेक किचन 12 करोड की लागत से निर्मित की गई है। राजधानी के शाहपुरा थाने के पीछे करीब एक एकड़ जमीन में यह रसोई बनी है। केंद्र प्रभारी के मुताबिक, राज्य सरकार की ओर से प्रति छात्र मिलने वाले 7 रुपए के अनुदान के अलावा भोजन की लागत का पैसा एचईजी अक्षयपात्र फाउंडेशन को अगले 3 साल तक प्रोवाइड करवाएगा।

एक घंटे में ही बन जाती हैं इतनी रोटियांकेंद्र प्रभारी वीरेन्द्र सिंह के मुताबिक, किचन में हाइजीन का पूरा ध्यान रखा जाता है। किचन में भोजन बनाने की सारी प्रक्रिया मशीनों द्वारा की जाती है। जिसमें सब्जियां छीलने व काटने से लेकर आटा गूंथने और रोटियां सेंकने तक सभी काम मशीनों के जरिए होगा। किचन में लगी मशीन की क्षमता एक घंटे में 20 हजार रोटियां बनाने की है। वहीं एक बार में 12 हजार लीटर दाल, 125 किलो चावल तैयार हो सकेंगे। किचन में करीब 150 कार्मिक प्रतिदिन काम करेंगे।

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