भोपाल: ये हैं फर्जी व्यूज वाले नटवरलाल, रेलवे में भर्ती के नाम से कमा रहे थे डॉलर, ऐसे आए पकड़ में
Bhopal: आरपीएफ में कांस्टेबल के 19 हजार 800 पदों पर नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगार युवाओं से ऑनलाइन वसूली कर रहे थे। पूछताछ में सामने आया है कि, आरोपियों ने अपनी फेक वेबसाइट भी बना रखी थी। वेबसाइट पर बेरोजगार युवा क्लिक करते थे तो उनके व्यूज बढ़ने के चलते इसके बदले में इन्हें डॉलर्स मिलते थे।
रेलवे में भर्ती के नाम पर फेक व्यूज का धंधा, 2 अरेस्ट (प्रतीकात्मक तस्वीर)
- आरोपी फेक वेबसाइट पर रेलवे में भर्ती का विज्ञापन देते थे
- बेरोजगार युवाओं के क्लिक करने पर व्यूज बढ़ते थे
- बीते चार साल से ये ठग युवाओं को गुमराह कर रहे थे
Bhopal: रेलवे में भर्ती के नाम पर विज्ञापन के जरिए डॉलर कमाने वाले दो युवकों को सीआईबी की टीम ने दबोचा है। दोनों ठग बीते चार साल से सोशल मीडिया में ग्रुपों के जरिए फेक विज्ञापन के लिंक शेयर करते थे। सेंट्रल इंवेस्टिगेशन ब्यूरो और आरपीएफ की टीम ने लगातार इनके द्वारा साइबर ठगी की मिल रही शिकायतों के बाद कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को बिहार के गया से अरेस्ट किया है।
आरोपियों से पूछताछ के बाद में सामने आई जानकारी से खुद अधिकारी दंग रह गए। हाल ही में आरोपियों ने आरपीएफ में कांस्टेबल के 19 हजार 800 पदों पर नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगार युवाओं से ऑनलाइन वसूली कर रहे थे। पूछताछ में सामने आया है कि, आरोपियों ने अपनी फेक वेबसाइट भी बना रखी थी। बड़ी संख्या में बेरोजगार युवा भर्ती का लिंक होने के कारण इस पर क्लिक करते थे। जिससे इनकी वेबसाइट पर व्यूज बढ़ते थे।
डॉलर्स में होती थी कमाईसीआईबी व आरपीएफ के अधिकारियों को आरोपियों ने बताया कि, वेबसाइट पर बेरोजगार युवा क्लिक करते थे तो उनके व्यूज बढ़ने के चलते इसके बदले में इन्हें डॉलर्स मिलते थे। जिससे इनकी अच्छी खासी अर्निंग हो रही थी। आरपीएफ के अधिकारियों के मुताबिक, इनकी ठगी के शिकार हुए कई युवाओं ने अधिकारियों से इसकी शिकायत की थी। बाद में पूरे मामले की बारिकी से जांच करवाई गई। इस बीच रेल सुरक्षा बल की जबलपुर आईटी सेल ने इस गैंग का पता लगाया। इसके बाद आरपीएफ व सीआईबी ने शातिर ठग कुंदन कुमार व सोनू कुमार को बिहार के गया से दबोच लिया। अब आरोपियों के खिलाफ आईपीसी व आईटी एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। बहरहाल आरपीएफ आरोपियों से पूछताछ कर गिरोह में शामिल बाकी आरोपियों का पता लगाने में जुटी है।
आरपीएफ ऐसे पहुंची आरोपियों तकआरपीएफ के अधिकारियों के मुताबिक, आरपीएफ की आईटी सेल को सोशल मीडिया में चल रहे विज्ञापन के लिंक से एडमिन की जानकारी मिली। विज्ञापन में आरपीएफ कांस्टेबल की कुल 19 हजार 800 की भर्ती का फेक विज्ञापन व दो मोबाइल नंबरों से बेरोजगार युवाओं को गुमराह किया जा रहा था। बस फिर क्या था, इस लिंक की पूरी पड़ताल करने के बाद आरपीएफ की आईटी सेल आरोपियों तक पहुंची। अब पूछताछ में इनके द्वारा की गई ठगी की वारदातों का पता लगाया जा रहा है।
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