Bhopal: मासूम से हैवानियत करने वाला अब आखिरी सांस तक रहेगा सलाखों के पीछे, जानिए कोर्ट का बड़ा फैसला

Bhopal: नर्सरी में पढ़ने वाली साढ़े तीन साल की मासूम से स्कूल बस में दुष्कर्म करने के दोषी बस चालक को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस मामले में बस चालक की सहयोगी बनी केयर टेकर को भी कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई। वहीं दोनों पर 32-32 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। यह फैसला जिला कोर्ट की विशेष न्यायाधीश शैलजा गुप्ता ने सुनाया है।

भोपाल की विशेष जिला अदालत ने दुष्कर्म के आरोपी बस चालक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई (फाइल फोटो)

मुख्य बातें
  • मासूम से दुष्कर्म के आरोपी बस चालक को आजीवन कारावास
  • सहयोगी केयर टेकर को 20 साल की सजा सुनाई
  • भोपाल की विशेष जिला कोर्ट ने 3 माह में दिया फैसला

Bhopal: तीन माह पूर्व राजधानी भोपाल में नर्सरी में पढ़ने वाली साढ़े तीन साल की मासूम से स्कूल बस में दुष्कर्म करने के दोषी बस चालक को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस मामले में बस चालक की सहयोगी बनी केयर टेकर को भी कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई। वहीं दोनों पर 32-32 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। विशेष लोक अभियोजक मनीषा के मुताबिक, सजा सुनाने से पहले दोनों आरोपी शांत थे, सजा सुनाते ही दोनों फफक पड़े। इसके बाद दोनों ने कहा कि, हमें झूठा फंसाया गया है। हमारे छोटे- छोटे बच्चे हैं, हमें छोड़ दीजिए।
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बता दें कि, यह फैसला भोपाल जिला कोर्ट की विशेष न्यायाधीश शैलजा गुप्ता ने सुनाया है। कोर्ट ने मुख्य आरोपी हनुमत को धारा 376 (एबी), 376 (2) और पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी करार दिया था। वहीं महिला केयर टेकर को धारा 109 और 16/17 में दोषी पाया था। गौरतलब है कि, इस घटना का फैसला कोर्ट ने त्वरित सुनवाई करते हुए तीन महीने में ही सुना दिया। विशेष लोक अभियोजक मनीषा पटेल के मुताबिक, पीड़ित 2 बच्चियां हैं, इसलिए हनुमत पर 16-16 हजार और महिला केयर टेकर को 16-16 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
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कोर्ट ने की ये टिप्पणी...

इस मामले में सजा सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश शैलजा गुप्ता ने कहा कि, दोनों बच्चियां महज साढ़े तीन साल की मासूम बच्चियां हैं। जिन्होनें अभी जीवन की शुरुआत कर घर से बाहर पहला कदम पढ़ाई के लिए रखा था। जहां आरोपी हनुमत व महिला केयर टेकर को बच्चे अंकल और दीदी कहते थे। बच्चों को सुरक्षित घर से स्कूल और स्कूल से घर लाने ले जाने की जिम्मेदारी इनकी थी। बच्चियां ना समझ हैं, न तो उन्हें अच्छे-बुरे का ज्ञान है और न ही मनोभावों को व्यक्त करने के लिए पर्याप्त शब्द। बच्चियों के आचरण से यह साबित होता है कि, वे इतनी इनोसेंट हैं कि, उन्हें ये तक समझ नहीं है कि, जिस अंकल का वे प्यार समझ रही हैं, दरअसल वो एक गंदी नियत है। कोर्ट ने लिखा है कि, जब शिक्षा के पवित्र मंदिरों में ही लड़कियां सेफ नहीं हैं। ऐसे में समाज में इनके स्वतंत्र अस्तित्व व विकास की कल्पना ही नहीं की जा सकती। आरोपियों द्वारा किया गया कार्य न केवल घृणित है। विश्वास को कंलकित करने वाला पैशाचिक कृत्य है। इस कारण आरोपियों के प्रति नरम रुख अख्तियार नहीं किया जा सकता। इन्हीं बातों को देखते हुए कोर्ट ने सजा दी।
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