Bhopal: प्रदेश के वन्यजीव उद्यानों में इन वाहनों पर लगेगी रोक, महकमा विकल्प तलाशने में जुटा, जानिए क्या होंगे नए नियम
Bhopal: राष्ट्रीय उद्यानों में डीजल व पेट्रोल वाहनों को प्रतिबंधित करने पर काम चल रहा है। इनके विकल्प के तौर पर हाईब्रिड और ईवी एसयूवी का परीक्षण किया जा रहा है। कई व्हीकल्स कंपनियों ने अपने ब्रांड के वाहन मध्य प्रदेश वन विभाग को देने का प्रस्ताव भेजा है। एमपी में कुल 10 राष्ट्रीय उद्यान हैं, जिनमें से 6 टाइगर रिजर्व हैं। पेट्रोल वाहनों से भी ध्वनि-वायु प्रदूषण होता है। जिससे वाइल्ड एनिमल्स की हेल्थ और फर्टिलिटी पर इसका प्रतिकूल असर पड़ता है।
अब मध्य प्रदेश के जंगलों में दौड़ेंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (सांकेतिक तस्वीर)
- परिवहन नियमों के तहत 10 साल से पुराने वाहन जंगलों में बैन होंगे
- विकल्प के तौर पर हाईब्रिड और ईवी एसयूवी का किया जा रहा है परीक्षण
- पेट्रोल वाहनों से वाइल्ड एनिमल्स की हेल्थ पर होता है प्रतिकूल असर
यही वजह है कि, कई व्हीकल्स कंपनियों ने अपने ब्रांड के वाहन मध्य प्रदेश वन विभाग को देने का प्रस्ताव भेजा है। मध्य प्रदेश के फॉरेसट मिनिस्टर विजय शाह के मुताबिक, कुछ वाहन निर्माता कंपनियों ने अपने एसयूवी व्हीकल्स प्रदेश के जंगलों के पहाड़ी इलाकों में परीक्षण को लेकर सहमति जताई है। विभागीय जानकारी के मुताबिक इसके पीछे की प्रमुख वजह वन्यजीवों के जीवन में खलल नहीं पड़े व जंगल की सेहत में सुधार को लेकर नियमों में बदलाव किया जा रहा है।
ये है प्रमुख वजह
बता दें कि, एमपी में कुल 10 राष्ट्रीय उद्यान हैं, जिनमें से 6 टाइगर रिजर्व हैं। आमतौर पर बरसों से वन्यजीवों की झलक पाने के लिए इन उद्यानों में सफारी के दौरान सैलानियों को स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल में घुमाया जा रहा है। जो कि पेट्रोल से चलने वाली फोर-व्हीलर ड्राइव एसयूवी है। अब सबसे बड़ा पेंच ये फंसा है कि परिवहन नियमों के तहत राष्ट्रीय उद्यानों में दस साल से अधिक पुराने वाहन बैन कर दिए जाएंगे। अतिरिक्त मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक शुभरंजन सेन के मुताबिक, नेशनल पार्कों में सैलानियों की सफारी के लिए काम में लिए जा रहे अधिकतर वाहन 10 साल पुराने हो गए हैं। इन वाहनों की निर्माता कंपनी ने 2019 में इसे बनाना बंद कर दिया है। यही वजह है कि, मध्य प्रदेश के नेशलन पार्कों के लिए न्यू व्हीकल्स के पंजीकरण को लेकर 7 सीटर एसयूवी की तलाश की जा रही है। वहीं जंगलों में प्रदूषण कम करना भी प्रमुख वजह है। बता दें कि, प्रदेश के कुछ टाइगर रिजर्व में बढ़ रहे पॉल्यूशन को लेकर हैदराबाद की सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बॉयोलाजी ने कुछ साल पूर्व कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में की गई अपनी स्टडी में बताया था कि, पेट्रोल वाहनों से भी ध्वनि-वायु प्रदूषण होता है। जिससे वाइल्ड एनिमल्स की हेल्थ और फर्टिलिटी पर इसका प्रतिकूल असर पड़ता है।
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