MP पुलिस के लिए सिरदर्द बन रहा डिजिटल अरेस्ट, डेढ़ साल में 50 से ज्यादा मामले
MP News: मध्य प्रदेश में डेढ़ साल के भीतर 50 डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आए हैं। हाल ही में राजधानी भोपाल में डिजिटल अरेस्ट से दो लोगों को बचाया गया है। बताया जा रहा है कि इन सभी मामलों को मिलाकर करीब 17 करोड़ रुपये की ठगी को अभी तक अंजाम दिया जा चुका है। पुलिस और सरकार इस संबंध में लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रही है।
मध्य प्रदेश पुलिस
MP News: मध्य प्रदेश में ठगी करने के लिए अपराधी डिजिटल अरेस्ट कर वारदात को अंजाम दे रहे हैं। बता दें कि आज के समय डिजिटल अरेस्ट ठगी का एक नया तरीका बन गया है। जिसमें फोन कॉल या वीडियो कॉल के माध्यम से आरोपी खुद को पुलिस या क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हैं और जांच के नाम पर पैसे ठगने का प्रयास करते हैं। इस तरह के मामले न केवल मध्य प्रदेश में बल्कि देश के अन्य कई शहरों से भी सामने आ रहे हैं। लेकिन एमपी में इस तरह की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अपराधियों और ठगों द्वारा अपराध करने का नया तरीका डिजिटल अरेस्ट पुलिस के लिए नई चुनौती बन गया है। डेढ़ साल में इस तरह की 50 से अधिक वारदातें सामने आ चुकी हैं। पुलिस और सरकार आम लोगों को जागरूक करने में लगी है, इसके बावजूद ठग लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। ऐसे दो मामले हाल ही में राजधानी भोपाल से सामने आए हैं।
भोपाल में ठगों ने दो लोगों किया डिजिटल अरेस्ट
एमपी की राजधानी भोपाल में बीते चार दिनों में डिजिटल अरेस्ट की दो घटनाएं सामने आई हैं। एक मामला अरेरा कॉलोनी में रहने वाले कारोबारी विवेक ओबेरॉय से जुड़ा हुआ है और दूसरी मामला टेलीकॉम कंपनी के इंजीनियर प्रमोद कुमार से जुड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि पहली घटना में कारोबारी विवेक ओबेरॉय के पड़ोसी की सजगता से वह ठगी से बच गए। लेकिन मंगलवार को टेलीकॉम कंपनी के इंजीनियर प्रमोद कुमार साइबर अपराधियों द्वारा छह घंटों तक डिजिटल अरेस्ट रखा और साढ़े तीन लाख रुपये की मांग की, लेकिन पुलिस की मदद से वह भी ठगी से बच गए। मामले पर एडीशनल डीसीपी शैलेंद्र चौहान ने बताया कि इंजीनियर प्रमोद कुमार को फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर फोन किया गया था। पुलिस इन नंबरों से अपराधियों की जानकारी जुटाने का प्रयास कर रही है।
डेढ़ साल में 50 डिजिटल अरेस्ट के मामले
राज्य में साइबर अपराधियों की गिरफ्त में आने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। डेढ़ साल में 50 से ज्यादा डिजिटल अरेस्ट की वारदातें हुई हैं। इन अपराधियों ने लगभग 17 करोड़ रुपये की ठगी की। हालांकि पुलिस की कोशिश से पांच करोड़ की राशि अब तक होल्ड पर है। इसका आशय है कि पीड़ितों को यह राशि वापस भी मिल सकती है और डेढ़ करोड़ रुपये तो पीड़ितों को लौटाए जा चुके हैं।
साइबर थाना शुरू करने का सरकार का वादा
राज्य सरकार भी साइबर अपराध की बढ़ती वारदातों से चिंतित है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी लोगों से बगैर डरे और साहस से इनका मुकाबला करने की अपील की है। साथ ही राज्य के हर जिले में साइबर थाना प्रारंभ करने के साथ साइबर डेस्क स्थापित करने का वादा किया है। उन्होंने कहा है कि साइबर हेल्पलाइन 1930 को भी अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश में व्यापक स्तर पर साइबर जागरूकता अभियान चला कर साइबर अपराध की रोकथाम के उपायों की जानकारी जन-जन को दी जाएगी। साइबर शाखा से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल अरेस्ट का शिकार सबसे ज्यादा पढ़े लिखे और मोबाइल का ज्यादा उपयोग करने वाले बन रहे हैं। इसलिए उन्हें अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। इन मामलों में राज्य में अब तक 30 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है और अधिकांश आरोपी बिहार, राजस्थान तथा दक्षिण भारत के निवासी हैं।
(इनपुट - IANS)
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