कांग्रेस के कद्दावर नेता आरिफ अकील का भोपाल में निधन, शेर-ए-भोपाल के राजनीतिक सफर पर एक नजर
कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री आरिफ अकील का सोमवार सुबह इंतकाल हो गया। उन्होंने भोपाल के अपोलो सेज हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के चलते भर्ती कराया गया था। आरिफ अकील भोपाल उत्तर से 6 बार विधायक रह चुके हैं।
कांग्रेस सीनियर नेता आरिफ अकील का निधन
Former Minister Arif Akil Passes Away: कांग्रेस के कद्दावर नेता और एमपी के पूर्व मंत्री आरिफ अकील का सोमवार सुबह भोपाल में निधन हो गया। वे 72 साल के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। रविवार को उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के चलते भोपाल के अपोलो सेज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। आरिफ अकील के पारिवारिक सूत्रों ने उनके निधन की पुष्टि कर दी है। इस खबर से शहर में शोक की लहर दौड़ गई।
क्यों कहा जाता है शेर-ए-भोपाल
आरिफ अकील का चार दशकों तक राजनीति में दबदबा रहा। वे भोपाल उत्तर विधानसभा से 6 बार विधायक रह चुके हैं। उन्हें 'शेर-ए-भोपाल' कहा जाता है, जिसकी वजह ये है कि दो दशक में तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा आरिफ अकील का अभेद किला भोपाल उत्तर ध्वस्त नहीं कर पाई। आरिफ अकील ने छात्र राजनीति से सियासी पारी की शुरुआत की थी। जिसके बाद उन्होंने विधानसभा की दहलीज पर कदम रखा और भोपाल उत्तर विधानसभा पर एकक्षत्र साम्राज्य स्थापित किया। कांग्रेस के शासनकाल में वे दो बार मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने अल्पसंख्यक कल्याण, जेल, खाद्य जैसे अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाली।
आरिफ अकील का राजनीतिक सफर
- आरिफ अकील 1977 में कांग्रेस की छात्र इकाई NSUI के उपाध्यक्ष बने।
- साल 1990 में पहली बार भोपाल उत्तर विधानसभा से निर्दलीय विधायक चुने गए।
- आरिफ अकली ने 1993 में जनता दल से चुनाव लड़ा लेकिन भाजपा के रमेश शर्मा से शिकस्त मिली।
- वे एमी वक्फ बोर्ड और बार काउंसिल के सदस्य भी नियुक्त किए गए।
- आरिफ अकील ने 1998 में कांग्रेस से चुनाव लड़ा और भाजपा के रमेश शर्मा को हराया।
- 1998 के उत्तर विधानसभा सीट उनका गढ़ बन गई।
- 2023 के विधानसभा चुनाव में अकील ने स्वास्थ्य खराब होने के चलते चुनाव नहीं लड़ा था।
- इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनके बेटे आतिफ अकील को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने बड़ी जीत हासिल की।
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