Holi Festival 2023: बाबा महाकाल के आंगन सबसे पहले जली होली, उज्जैन में बिना मुहूर्त होली जलाने की परंपरा, जानिए क्या है वजह

Holi Festival 2023: बाबा महाकाल के मंदिर में बिना मुहूर्त के होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है। यही वजह है कि एमपी में सबसे पहले बाबा महाकाल के मंदिर में होली जलाई जाती है। श्रद्धालु बाबा संग रंग, अबीर व गुलाल उड़ाकर होली की खुशियां मानते हैं। इंदौर में होलिका दहन के बाद होलकर राजवंश की देवी अहिल्या बाई होल्कर की राजगद्दी पर चांदी की पिचकारी से सबसे पहले रंग डालने की परंपरा है।

उज्जैन के महाकाल मंदिर में सबसे पहले होता है बिना मुहूर्त के होलिका दहन (फाइल फोटो)

मुख्य बातें
  • उज्जैन में शाम की आरती के बाद महाकाल मंदिर में होलिका दहन होता है
  • बिना मुहूर्त के होलिका दहन की परंपरा मंदिर में सदियों से चली आ रही है
  • इंदौर में सबसे पहले देवी अहिल्या बाई होल्कर की राजगद्दी पर चांदी की पिचकारी से रंग डाला जाता है


Holi Festival 2023:मध्यप्रदेश में स्थित सनानत धर्म के 12 प्रमुख ज्योर्तिलिंगों में से एक उज्जैन के बाबा महाकाल। यहां सदियों से बाबा महाकाल के मंदिर में बिना मुहूर्त के होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है। यही वजह है कि एमपी में सबसे पहले बाबा महाकाल के मंदिर में होली जलाई जाती है। श्रद्धालु बाबा संग रंग, अबीर व गुलाल उड़ाकर होली की खुशियां मानते हैं।

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मंदिर प्रबंध समिति के मुताबिक शाम को बाबा महाकाल की आरती के बाद मंदिर परिसर में पुजारियों और भक्तों ने महाकाल संग होली खेली। हर्ष की इस पावन बेला में ने होली खेल और एक दूजे को गुलाल लगाकर रंगों के पावन त्योहार की बधाई व शुभकामनाएं दी। इस दौरान समूचा मंदिर परिसर भगवान महाकाल के जयकारों से गूंजायमान हो उठा। इससे पूर्व करीब 40 क्विंटल फूल बरसाकर भक्तों ने बाबा महाकाल को रिझाया।

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इंदौर में हुआ परंपरागत होलिका दहन मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में शासन की ओर से होलिका दहन शहर के राजबाड़ा में किया गया। इससे पूर्व यहां के होलकर राजवंश के शिवाजी राव होलकर द्वितीय ने सोमवार शाम को 6ः30 बजे होलिका पूजन की, इसके बाद करीब शाम 7 बजे होलिका दहन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में शहर के लोग यहां मौजूद रहे। होलिका दहन के बाद शहर की महिलाओं ने भी होलिका का पूजन किया। सरकारी होलिका दहन की पूरी तैयारी राजबाड़ा में स्थित मल्हारी मार्तंड मंदिर के पुजारी पं. लीलाधर वारकर की ओर से की गई। बता दें कि, राजबाड़ा में सरकारी होलिका दहन की परंपरा कई वर्षों पुरानी परंपरा को आज भी बदस्तुर निभाया जा रहा है। यहां के होलकर राजवंश के महाराज ने मल्हारी मार्तंड मंदिर में पूजन-अर्चन कर चांदी की पिचकारी से सबसे पहले होलकर राजवंश की राजामाता देवी अहिल्या बाई होलकर की गद्दी पर रंग व गुलाल डाला।

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