'महिला रेप नहीं कर सकती, लेकिन उकसा सकती है', मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आरोपी की मां को ठहराया दोषी
एमपी हाईकोर्ट ने हाल ही में रेप के एक मामले पर सुनवाई करते हुए उकसावे को परिभाषित करते हुए कहा कि महिला रेप नहीं कर सकती है, लेकिन उकसा सकती है। आईपीसी धारा 109 के तहत रेप के लिए उकसाने को भी अपराध माना गया है।

एमपी हाईकोर्ट ने उकसावे को बताया अपराध
भोपाल रेप के एक मामले पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने इस फैसले में उकसावे की परिभाषा को स्पष्ट करते हुए कहा कि भले ही कोई महिला रेप की आरोपी नहीं हो सकती लेकिन वह रेप के लिए उकसाने की आरोपी हो सकती है। ऐसे में रेप के लिए उकसाने वाली महिला को आईपीसी की धारा 109 के तहत बलात्कार के लिए उकसाने के अपराध में दोषी ठहराया जा सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि यह पूरा मामला भोपाल के छोला मंदिर इलाके का है। इसमें रेप की वारदात को अंजाम देने वाला आरोपी के साथ उकसाने के मामले में उसकी मां और भाई के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया।
वर्ष 2022 में दर्ज करवाया रेप का मामला
पीड़िता ने 21 अगस्त 2022 में भोपाल के छोला मंदिर थाने में रेप की शिकायत दर्ज करवाई थी। पीड़िता ने शिकायत में बताया कि उसके पड़ोसी ने उसके परिवार में शादी का प्रस्ताव रखा था। उसी पर सहमति देने के लिए वह उनके घर गई थी। युवक की मां और उसके भाई ने उसे जबरन आरोपी के कमरे में भेज दिया, जहां उसने पीड़िता के साथ संबंध बनाए। पीड़िता ने बताया कि सगाई के बाद कई बार आरोपी ने उसके साथ संबंध बनाए और उसके बाद शादी करने से इनकार कर दिया।
आरोपी की मां पर रेप के लिए उकसाने का आरोप
पीड़िता ने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि आरोपी की मां ने कहा था कि शादी से पहले संबंध बनाना आम बात है। पीड़िता के अनुसार, पहली बार आरोपी ने 8 जुलाई 2021 को अपने घर पर पीड़िता का रेप किया था।
रेप के लिए उकसावे को बताया अपराध
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में रेप मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल और जस्टिस प्रशांत गुप्ता ने अपने निर्णय में कहा है कि भले ही कोई महिला रेप नहीं कर सकती लेकिन आईपीसी धारा 109 के तहत रेप के लिए उकसाने का अपराध कर सकती है। हाईकोर्ट ने कहा कि आईपीसी धारा 376 एक पुरुष से शुरू होती है। लेकिन अपराध केवल एक पुरुष द्वारा नहीं किया जा सकता। इसलिए आईपीसी की धारा 109 के तहत रेप के लिए उकसाने के लिए महिला को दोषी ठहराया गया है। इसके साथ ही जानबूझकर अपराध में सहायता करने को आईपीसी धारा 107 के तहत परिभाषित करते हुए महिला और पुरुष दोनों रेप के लिए उकसाने का दोषी ठहराया।
हाईकोर्ट में आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती
बता दें कि पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने धारा 376 (बलात्कार), 376 (2) (एन), 190, 506 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज की थी। निचली अदालत ने आरोपी को दोषी पाया था। सरकारी वकील सीएम तिवारी ने बताया की आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिसमें आरोपी के साथ कोर्ट ने परिवार के लोगों भी रेप के लिए उकसाने का दोषी ठहराया है औरयाचिका खारिज कर दी।
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