कूनो में अब चीतों को नहीं देख पाएंगे पर्यटक! लगातार हो रही मौत के बाद लिया गया ये बड़ा फैसला

MP Cheetah News: मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट से जुड़ा बड़ा अपडेट आया है। कूनो में पर्यटक अब चीते नहीं देख पाएंगे। लगातार हो रही चीतों की मौत के बाद हर कोई चिंतित था, ऐसे में स्वास्थ परिक्षण के लिए चीतों को खुले जंगल से पकड़कर बाड़े में शिफ्ट किया जा रहा है। इसका मतलब ये कि फिलहाल अब पर्यटक चीतों को नहीं देख पाएंगे।

Cheetah Kuno

कूनो में अब चीते नहीं देख पाएंगे पर्यटक।

Cheetah News: कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट से जुड़ी बड़ी जानकारी सामने आई है। चीतों को देखने के मकसद से यहां जाने वाले पर्यटकों के लिए बुरी खबर है। बीते 4 महीनों में 8 चीतों की मौत के बाद सभी चीतों का स्वास्थ्य परीक्षण शुरू कर दिया गया है। इसके लिए चीतों को खुले जंगल से पकड़कर बाड़े में शिफ्ट किया जा रहा है। ऐसे में फिलहाल पर्यटक चीतों को नहीं देख सकेंगे।

हेल्थ चेकअप के लिए पकड़े जा रहे हैं चीते

जंगल में छोड़े गए चीतों को हेल्थ चेकअप के लिए पकड़ने की कवायद शुरू हो गई है। नामिबिया और साउथ अफ्रीका से लाए गए चीतों का हेल्थ चेकअप चीता एक्सपर्ट टीम की देख रेख में शुरू कर दिया गया है। ऐसी जानकारी सामने आई है कि शनिवार शाम को जंगल में घूम रहे दो चीते, गामिनी और पवक को कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन ने हेल्थ चेकअप के लिए पकड़ कर बाड़े में शिफ्ट कर दिया गया।

बाड़े में कब तक बंद रहेंगे चीते?

विशेषज्ञों ने मादा चीता गामिनी और नर चीते पवक समेत का स्वास्थ परीक्षण किया और दोनों के स्वस्थ्य होने की बात कही। अब सवाल ये है कि कूनो के जंगल में आजाद घुमने वाले चीते बाड़े में कब तक बंद रहेंगे। दरअसल, 11 चीतों में से 7 को बड़े बाड़े में शिफ्ट किया गया है। 4 चीते पहले से ही बाड़े में बंद हैं, जो स्वस्थ्य बताए जा रहे हैं। साउथ अफ्रीका और नामिबिया से आए चीते गौरव, आशा, शौर्य, धीरा, पवन, गामिनी और पवक नाम के चीतों के गले से कॉलर आईडी उन्हें बाड़े में शिफ्ट करते वक्त हटा दी गई।

कॉलर आईडी के चलते बीमार हो रहे चीते!

ऐसी जानकारी सामने आई है कि खुले जंगल से 4 अन्य चीतों को जल्द ही हेल्थ चेकअप के लिए बाड़े में शिफ्ट किया जाएगा और उनकी भी कॉलर आईडी हटाई जाएगी। सभी चीतों को फिलहाल बिना कॉलर आईडी के ही बाड़े में रखा जाएगा। बता दें, नर चीते सूरज और तेजस की गर्दन पर घाव मिले, इसीके बाद से सभी चीतों के गले से कॉलर आई डी हटाई जा रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि मानसून के सीजन तक सभी चीतों को कड़ी सुरक्षा के बीच बाड़े में ही रखा जाएगा। विशेषज्ञों की जांच में ये बात सामने आई है कि कॉलर आईडी के इंफेक्शन के चलते ही चीते बीमार हो रहे हैं। मुख्य वन संरक्षक का मानना है कि टाइगर वाली कॉलर ईडी लगाना एक बड़ी लापरवाही है।
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