एक अनोखी दुकान, जहां लड्डू गोपाल की मूर्ति ही है मालिक और कैशियर

मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक ऐसी अनोखी लड्डू की दुकान खुली है, जिसमें कोई भी मालिक या कैशियर नहीं है। बल्कि स्वयं भगवान लड्डू गोपाल इस दुकान को चलाते हैं। ग्राहर लड्डू खरीदकर लड्डू गोपाल को कीमत अदा करके जाते हैं। पैसे कम होने या न होने पर भी यहां पर लड्डू-गोपाल से उधारी में खरीददारी की जा सकती है।

Laddu Gopal Laddu Shop

लड्डू गोपाल की लड्डू की दुकान

जब भी किसी दुकान की कल्पना की जाती है तो उसमें कम से कम एक कैशियर तो होता ही है। कुछ मामलों में कैशियर ही मालिक होता है, जबकि कुछ मामलों में मालिक के साथ अलग से कैशियर और कुछ अन्य कर्मचारी भी होते हैं। लेकिन हम एक अलग तरह की दुकान के बारे में जानकारी लेकर आए हैं। यह अलग कॉन्सेप्ट की दुकान मध्य प्रदेश के जबलपुर में है। चलिए जानते हैं आखिर यह क्यों यह दुकान अलग है और लड्डू गोपाल की मूर्ति मालिक व कैशियर की भूमिका कैसे निभाती है?

लड्डू गोपाल की लड्डू की दुकान

जिस व्यक्ति की दुकान होती है और जिस चीज की दुकान होती है, वह उसके बोर्ड पर लिखा जाता है। जैसे सीताराम छोले भटूरे वाले, उसी तरह जबलपुर में लड्डू गोपाल की लड्डू की दुकान है। जी हां, इस लड्डू की दुकान के मालिक और कैशियर स्वयं लड्डू गोपाल हैं। लड्डू गोपाल यहां पर दोनों भूमिकाएं निभा रहे हैं। उनके अलावा यहां कोई मालिक और कैशियर नहीं हैं।

लड्डू गोपाल से लड्डू की खरीददारी

यहां लड्डू गोपाल की दुकान में आने वाले ग्राहक स्वयं लड्डू गोपाल से ही लड्डू खरीद रहे हैं। यहां तक कि अगर किसी ग्राहक के पास लड्डू के लिए उस समय पैसे नहीं हैं तो वह लड्डू-गोपाल से उधार में भी लड्डू लेकर जा सकते हैं। पैसे कम होने पर भी ग्राहक लड्डू खरीद सकते हैं। ग्राहक जब दोबारा लड्डू गोपाल की स दुकान पर आते हैं तो वह उधारी चुका सकते हैं।

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कहां है ये दुकान

लड्डू गोपाल की लड्डू की यह दुकान जबलपुर में नेपियर टाउन में शास्त्री ब्रिज के पास है। इस दुकान में भगवान लड्डू गोपाल के पसंदीदा लड्डू मिलते हैं। खास बात ये है कि दुकान में आने वाले ग्राहक स्वयं अपनी पसंद के लड्डू के डिब्बे चुनते हैं और लड्डू की कीमत भगवान लड्डू गोपाल की मूर्ति के पास रखे एक पात्र में रख देते हैं। मान लें आपने 300 के लड्डू लिए और आप लड्डू गोपाल की मूर्ति के पास 500 रुपये रखते हैं तो वहां से बाकी के 200 रुपये उठा सकते हैं। इसके बाद ग्राहक भगवान को प्रणाम करके वहां से चले जाते हैं।

एक ग्राहक की मजबूरी से आया आइडिया

कुल मिलाकर लड्डू गोपाल की इस दुकान में सब कुछ सेल्फ सर्विस है। यानी लड्डू के पैकेट उठाने से लेकर उसकी कीमत चुकाने और बचे हुए पैसे वापस लेने तक। अद्भुत कॉन्सेप्ट की यह दुकान खोलने का आइडिया विजय पांडे को आया, जो कई वर्षों से लड्डू बनाकर विभिन्न मंदिरों में सप्लाई करते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले उनके पास एक ऐसा ग्राहक आया, जो लड्डू लेना चाहता था, लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे। संकोच के चलते वह वह खुलकर अपनी बात नहीं बता पा रहा था। बस यहीं से विजय पांडे के दिमाग में यह अद्भुत कॉन्सेप्ट ने जन्म लिया। उन्होंने सोचा कि ऐसे कई लोग होंगे, जिनके पास पैसे कम होंगे या नहीं होंगे, जिसके कारण वह लड्डू लेने में संकोच कर रहे होंगे। बस फिर क्या था, उन्होंने यह अनोखे कॉन्सेप्ट वाली दुकान खोल दी।

भगवान से झूठ नहीं बोल सकते

अब यहां से कोई भी ग्राहक लड्डू खरीद सकता है, भले ही उसके पास पैसे न हों या कम हों। वह भगवान से बाद में पैसे देकर जाने का वादा करके लड्डू का प्रसाद लेकर जा सकता है। लड्डू का यह व्यापार लड्डू गोपाल और उनके भक्त के बीच होता है। दुकान खोलने वाले विजय पांडे का मानना है कि एक इंसान, दूसरे से झूठ बोल सकता है। वादा करके भी मुकर सकता है। लेकिन भगवान से झूठ नहीं बोल सकता, उनसे किए वादे से नहीं मुकर सकता। इसी विश्वास के भरोसे के साथ उन्होंने यह दुकान खोली और लड्डू गोपाल को समर्पित कर दी।

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दुकान पर लड्डू की खरीददारी करने वाले ग्राहक भी इस कॉन्सेप्ट से अचंभित हैं। वे भी मानते हैं कि भगवान सबके मन की बातें जानते हैं, इसलिए भगवान से कोई भी झूठ नहीं बोल सकता। लोगों का कहना है कि इस तरह की दुकान उन्होंने पहले कभी नहीं देखी, जहां भगवान और भक्त के बीच सौदा होता है।

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मकरंद काले author

सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।\nततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि\n\nसाल 2008 में by chance journalist बना। 2013 से by choice journalist ह...और देखें

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