Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्‍य प्रदेश में पहली बार कब हुए चुनाव, किसे मिली थी रिकॉर्डतोड़ जीत

Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्‍य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का काउंटडउन शुरू हो चुका है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि मध्‍य प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव कब हुए थे और कौन विजेता था।

मध्‍य प्रदेश के पहले चुनाव का इतिहास।

Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अब काफी कम समय शेष है। चुनाव आयोग ने मध्‍य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की है। इस बार तकरीबन 5 करोड़ से ज्‍यादा मतदाता प्रत्‍याशियों के भाग्‍य का फैसला करेंगे। मध्‍य प्रदेश की इस चुनावी यात्रा की बात करें तो आज से करीब 72 साल पहले यानी वर्ष 1951 में वोटर्स की संख्या 1.55 करोड़ थी। फिलहाल 2023 में मतदाताओं की संख्या में तीन गुना से ज्यादा का इजाफा हुआ है। गौरतलब है कि मध्‍य प्रदेश में पहली बार चुनाव भी 1951 में हुए थे।

कैसा था प्रदेश का पहला चुनाव

मध्य प्रदेश का पहला विधानसभा चुनाव 1951 में हुआ था। उस दौरान राज्‍य के कुल मतदाताओं की संख्‍या 1 करोड़ 55 लाख 13 हजार 592 थी। हालांकि उस दौर में कुछ मतदाताओं की गिनती एक से ज्‍यादा बार भी की गई थी। लेकिन अगर एक बार की गिनती के हिसाब से भी देखा जाए तो 1951 में वोटर्स की संख्या 1 करोड़ 10 लाख 75 हजार 142 थी। चुनाव आयोग के मुताबिक, वर्ष 1951 के चुनाव में कुल 45.11 फीसद मतदाताओं ने ही मताधिकार का प्रयोग किया था। वहीं, पिछले विधानसभा चुनाव में यानी कि 2019 में कुल वोटर्स की संख्या बढ़कर 5 करोड़ 3 लाख 34 हजार 260 हो गई थी।

पहले चुनाव का कौन था किंग

बता दें कि मध्‍य प्रदेश के पहले चुनाव 1951 में 184 सीटों के लिए वोट पड़े थे। इसमें कांग्रेस पार्टी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। उस दौरान कांग्रेस ने 184 में से 148 सीट पर जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस के विरुद्ध लड़ रहे जन संघ को करारी हार का सामना करना पड़ा था। ऐसा इसलिए क्योंकि ये इकलौता ऐसा चुनाव था जिसमें जन संघ का एक भी उम्मीदवार नहीं जीता था। इसके अलावा मुलायम सिंह यादव की कांग्रेस ने भी 1951 में मध्‍य प्रदेश के चुनाव में ताल ठोंकी थी। समाजवादी पार्टी और किसान मजदूर प्रजा पार्टी जैसे दलों की चर्चा ने उस वक्‍त जोर इसलिए पकड़ा था क्‍योंकि इन्‍हें दलों को भी जन संघ की तुलना में ज्यादा सीटें हासिल हुई थी। इसमें सपा ने 2 और केएमपीपी ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

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