MP Assembly Election 2023: BJP नहीं कांग्रेस नेता ने शिवराज को CM बनने की दी थी सूचना, मुख्यमंत्री बनने के लिए इस नेता से करना पड़ा था सौदा!

Madhya Pradesh Assembly Election 2023 - मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 2005 में पहली बार जब वे मुख्यमंत्री बने तो उससे पहले वे विदिशा के सांसद हुआ करते थे। इस बार वो छठी बार बुधनी विधानसभा से बीजेपी के प्रत्याशी हैं। वे रिकॉर्ड 4 बार राज्य की सत्ता संभाल चुके हैं। आइये जानते हैं पहली बार वो कहां से विधायक बने और कितनी दिलचस्प है उनके सीएम बनने कहानी।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Election 2023) में काटें की लड़ाई के लिए राजनीतिक योद्धा मैदान में पसीना बहा रहे हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान के अलावा कांग्रेस के कमलनाथ समेत कई चर्चित चेहरे जी जान लगाए हुए हैं। शिवराज चार बार राज्य की गद्दी संभाल चुके हैं। एक बार फिर वे सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट से छठवीं बार भाजपा के प्रत्याशी बनाए गए हैं। उनके लिए यह सीट कई मायने में खास है। साल 1972 के बाद से यह सीट अस्तित्व में आई और पहली बार यहां से कांग्रेस के सालिगराम वकील विधायक बने थे। 1985 तक चार चुनावों में यहां कांग्रेस का सिक्का चलता रहा। वर्ष 1990 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 31 साल के युवा शिवराज को टिकट दिया और उन्होंने, कांग्रेस प्रत्याशी को मात देकर यहां से बीजेपी का खाता खोल दिया।

2005 में शिवराज बने CMहालांकि, इसके बाद शिवराज विदिशा से लोकसभा का चुनाव लड़ने पहुंच गए। और वो 1996, 1998, 1999 और 2004 विदिशा से लोकसभा सासंद भी रहे। 29 नवंबर 2005 में पहली बार शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने। तब वे लोकसभा के सदस्य थे। सीएम बनने के छह महीने के भीतर उन्हें विधायक चुना जाना अनिवार्य था। सांसद बनने से पहले वे बुधनी से विधायक रह चुके थे। लिहाजा, वे फिर बुधनी से ही चुनाव लड़ना चाहते थे। उस समय राजेंद्र सिंह बुधनी से विधायक थे। इस सीट को पाने के लिए उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ा। तात्कालीन विधायक राजेंद्र सिंह को इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाया गया। अंत में एक डील के तहत शिवराज को फिर से ये सीट नशीब हुई। 2006 में उपचुनाव हुए और मुख्यमंत्री विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे। उसके बाद से 2008, 2013, 2018 में भी बुधनी से ही विधायक चुने गए। विधानसभा चुनाव 2023 के लिए शिवराज छठवीं बार यहां से मैदान में हैं।

कांग्रेस के इस नेता दी CM बनने की सूचनाएमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान के पहली बार मुख्यमंत्री बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प बताई जाती है। इनके मुख्यमंत्री बनने की सूचना भी किसी बीजेपी नेता ने नहीं, बल्कि कांग्रेस के एक कद्दावर नेता और एक राज्य के मुख्यमंत्री ने दी थी। ये सारी जानकारियां खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एक न्यूज वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में सामने रखी थीं।

कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने खटखटाया दरवाजासीएम शिवराज कहते हैं कि उसी समय उनकी पत्नी साधना सिंह ने उन्हें टीवी पर नजर डालने के लिए कहा। कहा कि न्यूज चैनल में आपके नाम की पट्‌टी चल रही है। शिवराज ने बताया कि उस समय उनको बहुत तेज नींद आ रही थी और उन्होंने पत्नी को बोला कि उनको सोने दिया जाए लेकिन, उसी दौरान उनके घर की घंटी भी बज चुकी थी। दरवाजे पर कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा जो पड़ोस के बंगले में रहते थे। वे अपनी पत्नी के साथ उनके घर आए और उन्होंने ही सबसे पहले उनको मिठाई खिलाकर सीएम बनने की बधाई दी।

इतनों मतों से जीतकर बनते रहे विधायकसाल 1990 में पहली बार शिवराज ने कांग्रेस प्रत्याशी हरी सिंह को 22,810 मतों से मात देकर विधानसभा की राह तय की। 2006 में हुए उपचुनाव में शिवराज ने कांग्रेस के राजकुमार पटेल को 36 हजार 525 मतों से हराया था। 2008 के चुनाव में शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस के महेश सिंह राजपूत को 41 हजार 526 मतों से पराजित किया था। साल 2013 के चुनाव में शिवराज कांग्रेस के महेन्द्र सिंह को 84 हजार 805 मतों से हरा दिया था। वर्ष 2018 का दिलचस्प चुनावी मुकाबले में कांग्रेस ने अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को बुधनी से शिवराज के खिलाफ मैदान में उतार दिया। यह चुनाव भी शिवराज सिंह चौहान 58 हजार 999 मतों से जीत गए थे। इस बार यहां से दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद है। शिवराज के सामने टीवी कलाकार विक्रम मस्ताल कांग्रेस की टिकट पर उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी के तौर पर मैदान में हैं। मस्ताल का यह पहला चुनाव है और वो टीवी सीरियल में हनुमान की भूमिका अदा कर चुके हैं।

शिवराज की राजनीति में ऐसे हुई एंट्रीसीएम शिवराज अपने पढ़ाई के लिए भोपाल रूख किया। यहां पर उन्होंने मॉडल हाई सेकेंडरी स्कूल में दाखिला लिया। राजनीति में बचपन से ही दिलचस्पी रखने वाले शिवराज सिंह ने यहां पर भी अपनी छाप छोड़ी और 1975 में यहां से छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद से ये लंबे समय तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन से जुड़े रहे। इसके बाद धीरे-धीरे इन्होंने मुख्य राजनीति में कदम रखा.

जब कमलनाथ को सिंधिया ने दिया झटकाश्री शिवराज सिंह चौहान को पहली बार 29 नवंबर 2005 में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने का मौका मिला। इसके बाद दोबारा 11 दिसंबर 2008 को सीएम पद पर आसीन हुए। फिर, तीसरी बार 14 दिसंबर 2018 को बतौर मुख्यमंत्री राज्य की सत्ता संभाली, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में राज्य की जनता ने कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी को जनसमर्थन दिया और कमलनाथ ने 13 दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री बनकर 1 साल 3 महीने 3 दिन राज्य की सत्ता को चलाया। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी से बनावत कर 22 विधायकों के साथ बीजेपी का दामन थामने के बाद वो फ्लोर पर बहुमत सिद्ध नहीं कर पाए। लिहाजा, चौथी बार फिर शिवराज सिंह चौहान के हाथ में मध्य प्रदेश की कमान आ गई।

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