मध्यप्रदेश CM मोहन यादव का नाथ समुदाय को सुझाव- 'समाधि की जगह कर सकते हैं अंतिम संस्कार'

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नाथ समुदाय से अपील की है कि संभव हो तो वह अपने समाज में शव के अंतिम संस्कार करने के तरीके में सुधार कर सकते हैं।

MOHAN YADAV

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नाथ समुदाय से अपील की है (फाइल फोटो)

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नाथ समुदाय को लेकर एक सुझाव दिया है, शव के अंतिम संस्कार करने के तरीके में सुधार का सुझाव देते हुए CM ने कहा -'पहले ख़राब दौर था तो समाधि बनाते थे। अब तो धूम धाम से पाँचों तत्वों का शरीर , ॐ स्वाहा ये चलाना चाहिए। परंपरा में समय के साथ सुधार भी करना चाहिए । आप समाधि बना देते हो, लोग चादर चढ़ा देते हैं! इसके बाद परेशानी हमें होती है! पुरखे हमारे हैं और समाधि पर चादर चढ़ाकर फायदा कोई और ले लेते हैं! खूब नाचे -कूदे अपना संसार चलाया और जब समय पूरा हुआ तो पाँच तत्व का सामान पाँच तत्व को वापिस कर दो'
मुख्यमंत्री ने यह बात विमुक्त, घुमक्कड़ और अर्ध घुमक्कड़ समाज के भोपाल में रखे गए एक आयोजन में कही।
अब इसे लेकर विवाद भी नज़र आ रहा है । कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस बयान पर आपत्ति जताई है, उन्होंने ट्वीट कर लिखा-
- "ज्ञानी" और "दार्शनिक" मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अब नाथ समुदाय को भी नया ज्ञान दिया है! शव के अंतिम संस्कार करने के तरीके में सुधार का सुझाव देते हुए CM ने कहा -
- 'आप समाधि बना देते हो, लोग चादर चढ़ा देते हैं! इसके बाद परेशानी हमें होती है! पुरखे हमारे हैं और समाधि पर चादर चढ़ाकर फायदा कोई और ले लेते हैं!'
मोहन भैया,
दुख है, आश्चर्य भी हो रहा है कि आपको क्या हो गया है? नागरिक अधिकार व धार्मिक स्वतंत्रता संविधान प्रदत्त है! किसी भी जाति, धर्म, पंथ, मजहब की अपनी परंपराएं हैं! श्रद्धा, आस्था, विश्वास के संस्कार, वहां पीढ़ियों के साथ प्रेरित व प्रवाहित होते हैं!
फिर आप कौन? ये ज्ञान क्यों? यदि सच में कुछ कहना-करना चाहते हैं, तो नाथ समुदाय को शिक्षित बनाने में सहयोगी बनें! विकास के मुख्य धारा में लाने के लिए मदद करें! रोजगार की राहत दें, जनहित की योजनाओं का लाभ दें!
हो सकता है,
ऐसे बयान चर्चा बटोरे लें!
लेकिन, पद की गरिमा गिरा देंगे!
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रवि वैश्य author

मैं 'Times Now नवभारत' Digital में Assistant Editor के रूप में सेवाएं दे रहा हूं, 'न्यूज़ की दुनिया' या कहें 'खबरों के संसार' में काम करते हुए करीब...और देखें

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