'ये भूमि संतों की, सांता की नहीं...', Christmas से पहले बोली VHP- Hindu बच्चों को स्कूल बिन अनुमति न बनाएं सैंटाक्लॉज
VHP on Christmas 2023: दरअसल, अब से लगभग डेढ़ हजार साल पहले संत निकोलस का जन्म हुआ था। उन्हीं को असली सांता और सांता का जनक बताया जाता है। हालांकि, संत निकोलस और जीसस के जन्म का कोई स्पष्ट संबंध नहीं मिलता है, मगर मौजूदा समय में क्रिसमस के आस-पास सांता क्लॉज काफी अहम माने जाते हैं। बच्चे हो या फिर बड़े...सबको उनके बिना क्रिसमस अधूरा और सूना सा मालूम पड़ता है।
स्कूल में क्रिसमस के दौरान सैंटाक्लाज के कॉस्ट्यूम और मास्क में बैठे कुछ बच्चे। (फाइल)
प्रान्त के प्रचार प्रसार प्रमुख जितेंद्र चौहान की ओर से सूबे की राजधानी भोपाल में शनिवार (24 दिसंबर, 2022) को इस बाबत एक विज्ञप्ति जारी की गई। बताया गया कि परिषद मध्य भारत प्रान्त के सभी विद्यालयों में जो छात्र सनातन हिंदू धर्म और परंपरा को मानते हैं, उन्हें विद्यालय में होने बाले क्रिसमस के कार्यक्रम में सांताक्लॉज बना रहे हैं। वे क्रिसमस ट्री भी लाने का बोल रहे हैं। यह हमारी हिंदू संस्कृति पर हमला है। यह हिंदू बच्चों को ईसाई धर्म में प्रेरित करने के लिए षड्यंत्र है और आर्थिक रूप से भी ऐसी ड्रेस या पेड़ लाने से अभिभावकों का नुकसान है।
विज्ञप्ति में आगे सवाल किया गया कि क्या ये विद्यालय हिंदू बच्चों को सांता बनाकर ईसाई धर्म के प्रति श्रद्धा और आस्था उत्पन्न करने का काम कर रहा है। यह भी कहा गया है, ‘‘हमारे हिंदू बच्चे राम बने, कृष्ण बने, बुद्ध बने, गौतम, महावीर बने, गुरु गोविंद सिंह बने, यह सब तो बनना चाहिए। क्रांतिकारी बने, महापुरुष बने, परंतु सांता (सैंटाक्लॉज) नहीं बनना चाहिए। ये भारत भूमि संतों की भूमि है, सांता की नहीं।’’
आगे कहा गया, ‘‘ऐसे में सभी स्कूल्स से गुजारिश है कि हिंदू बच्चों को अभिभावकों की अनुमति के बिना सांताक्लॉज न बनाए और अगर कोई विद्यालय ऐसा करता है तो उस विद्यालय के विरुद्ध विश्व हिंदू परिषद वैधानिक कानूनी कार्रवाई करेगी।’’ चौहान ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि विश्व हिंदू परिषद के मध्यभारत प्रान्त के तहत आने वाले मध्यप्रदेश के चार संभागों भोपाल, नर्मदापुरम, ग्वालियर और चंबल के सभी 16 जिलों में यह पत्र सभी विद्यालयों को दिए जा रहे हैं।
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