MP Assembly Election 2023: राजशाही खत्म होने पर लोकतंत्र में मजबूत हुए रजवाड़े परिवार! एमपी की राजनीति में आज भी राजघरानों का दबदबा

MP Assembly Election 2023- मध्य प्रदेश में राजशाही खत्म होने के बाद अबतक राजनीति रियासतों के इर्द-गिर्द घूम रही है। वर्तमान विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस से राजपरिवारों से ताल्लुक रखने वाले 15 उम्मीदवार मैदान में हैं। सबसे अधिक भाजपा से 9 व कांग्रेस से 6 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिनका संबंध किसी न किसी राजपरिवार से है।

एमपी की राजनीति में राजघरानों का दबदबा

MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में 17 नवंबर से विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। पहले चरण के लिए चुनावी प्रचार भी रुक गया है। इस बार प्रदेश में 64 हजार 523 मतदान केंद्रों पर मतदान किया जाएगा। प्रदेश के कुल 2 हजार 533 उम्मीदवार मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। जैसे-जैसे वोटिंग की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ रही हैं। इस बार का चुनाव काफी टफ माना जा रहा है। उसका कारण है पिछली बार कांग्रेस की जीत। लिहाजा, बीजेपी ने अपने कई सांसदों को विधायकी का ताज पहनाने के लिए चुनावी रण में धकेल दिया है। इसमें कई दिग्गज नेता और राजघरानों के राजकुमार भी शामिल हैं। एमपी के इतिहास के पन्ने पलटें तो यहां के शाही घरानों की अहम भूमिका रही है और वर्तमान के केंद्र में भी वो सिलसिला जारी है।

राजशाही खत्मआजादी के बाद भारत से राजे-रजवाड़े और राजशाही भले ही खत्म हो गई हो, लेकिन 1956 में मध्य प्रदेश के गठन के बाद से लेकर अब तक जितने चुनाव हुए हैं, चाहे विधानसभा चुनाव हों या फिर लोकसभा ये सभी राजघरानों की मेहरबानी में ही हुए हैं। अर्जुन सिंह से लेकर दिग्विजय सिंह तक यानी कुल मिलाकर ज्यादातर मुख्यमंत्री राजघरानों के ही बने। मंत्रिमंडल में भी इन घरानों का वर्चस्व कायम रहा।

वर्तमान विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस से राजपरिवारों से ताल्लुक रखने वाले 15 उम्मीदवार सत्ता में भागीदारी के लिए मैदान में है। सबसे अधिक भाजपा से नौ व कांग्रेस से छह उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनका संबंध किसी न किसी राजपरिवार से है।

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