MP Assembly Election 2023: इन पार्टियों में 'तीसरा विकल्प' बनने की छटपटाहट, बिगाड़ सकती हैं भाजपा-कांग्रेस का चुनावी खेल

MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी करीब 25 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों का ही खेल बिगाड़ती दिख रही है। राज्य में बसपा और सपा के वोट बैंक का बढ़ना या घटना चुनावी नतीजे को प्रभावित करता है।

MP Assembly Election 2023

एमपी विधानसभा चुनाव

MP Assembly Election 2023: एमपी में पहले चरण के लिए 17 नवंबर को मतदान संपन्न होने के बाद राज्य की दो ध्रुवीय राजनीति में ‘तीसरा विकल्प’ बनने के प्रयासों में कई पार्टियां जोर आजमाइश कर रही हैं। खासकर, यूपी की बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के नेता अपने लिए अवसर तलाश रहे हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव अकेले बहुजन समाज पार्टी करीब 25 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस, दोनों का ही खेल बिगाड़ती दिख रही है। समाजवादी पार्टी सहित ‘इंडिया’ गठबंधन के कुछ घटक दलों में भी अपनी छाप छोड़ने की छटपटाहट है जो उनका अपना ही नुकसान करती दिख रही है।

बहुजन समाज पार्टी ने झोकी ताकतबहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष बहन मायावती ने इस चुनाव में आदिवासी बहुल क्षेत्रों, खासकर महाकौशल की राजनीति में प्रभाव रखने वाली गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) के साथ गठबंधन किया है। बसपा 183 सीटों पर तो गोंगपा 45 से अधिक सीटों पर ताल ठोंक रही है। वहीं, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और कुछ क्षेत्रीय पार्टियां भी चुनाव मैदान में हैं। हालांकि, बसपा और सपा के अलावा किसी अन्य दल का कोई ऐसा प्रभाव नहीं है, जिससे चुनावी नतीजों में कोई बड़ा अंतर आए।

एमपी में बसपा का ग्राफ घटाप्रदेश के ग्वालियर-चंबल और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे विंध्य और बुंदेलखंड के क्षेत्रों में बसपा ने हमेशा, जबकि सपा ने कुछ चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। यही कारण है कि कांग्रेस से तवज्जों न मिलने के बाद भी सपा मुखिया अखिलेश यादव एमपी में पसीना बहा रहे हैं। वहीं, बसपा ने सबसे कम सात प्रतिशत और सबसे अधिक 11 प्रतिशत मत हासिल किए हैं। 1993 और 1998 के चुनावों में उसके 11 उम्मीदवार विधायक बने थे। दोनों ही बार कांग्रेस की सरकार बनी थी। 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 173 सीटें जीतकर कांग्रेस को जब सत्ता से बेदखल किया था, तब बसपा को 10.6 प्रतिशत मत मिले थे। हालांकि, उसके दो ही उम्मीदवार विधानसभा पहुंच सके थे।

2018 में मिले 6.42 प्रतिशत वोट2018 के चुनाव में भी बहुजन समाज पार्टी को दो ही सीट से संतोष करना पड़ा था और उसका मत प्रतिशत गिरकर 6.42 पर आ गया था। इस चुनाव में कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी और बसपा के दो, सपा के एक और कुछ निर्दलीय विधायकों की मदद से कांग्रेस ने सरकार बनाई। सपा ने इस राज्य में सबसे अच्छा प्रदर्शन 2003 के चुनाव में किया था, जब उसके सात विधायक विधानसभा पहुंचे थे। उसे 5.26 प्रतिशत वोट मिले थे। यह इस बात के संकेत हैं कि बसपा और सपा के वोट बैंक का बढ़ना या घटना, चुनावी नतीजे को प्रभावित करता है।

बागियों पर दांवयही कारण है कि इस बार बसपा और सपा सहित अन्य दलों ने बागियों पर दांव खेला है। लिहाजा, कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। ये उम्मीदवार कुछ सीटों पर भाजपा का तो कुछ पर कांग्रेस का खेल बिगाड़ रहे हैं। ये विंध्य की सतना, नागौद, चित्रकूट और रैगांव सीट पर बसपा के उम्मीदवार मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं। सतना में जहां भाजपा के बागी व बसपा के उम्मीदवार रत्नाकर चतुर्वेदी ‘शिवा’ ने भाजपा सांसद गणेश सिंह के लिए मुश्किलें खड़ी की है। वहीं, बगल की नागौद सीट पर कांग्रेस के बागी और बसपा उम्मीदवार बने यादवेंद्र सिंह अपनी ही पूर्व पार्टी के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।

इसी प्रकार चित्रकूट सीट पर भाजपा के बागी सुभाष शर्मा ‘डॉली’ हाथी पर सवार हो गए हैं और भाजपा के उम्मीदवार व पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार और कांग्रेस के मौजूदा विधायक नीलांशु चतुर्वेदी की राह कठिन करते नजर आ रहे हैं। जिले की एकमात्र सुरक्षित रैगांव सीट पर बसपा के देवराज अहिरवार मैदान में हैं।

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Pushpendra kumar author

पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्षा-दीक्षा भी उसी परिवेश के साथ आगे बढ़ी। साल 2016 स...और देखें

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