MP: घूसखोर बैंक मैनेजर को कोर्ट ने सुनाई 4 साल की सजा, ये था मामला

MP: आरोपी मैनेजर ने एक ऑटो रिक्शा का ऋण पास करने के एवज में घूस मांगी थी। जिस पर पीड़ित की शिकायत पर आरोपी मैनेजर को लोकायुक्त की टीम ने ट्रैप किया था। घूसखोरी का यह मामला इंदौर की डीजे कोर्ट में पहुंचा था। विशेष न्यायाधीश ने प्रकरण क्रमांक 13/2017 में फैसला देते हुए दोषी बैंक मैनेजर भरत को पीसी एक्ट की धारा 7, 13(1) (डी), 13 (2) में 4-4 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

मध्य प्रदेश में घूसखोर बैंक मैनेजर को इंदौर कोर्ट ने सुनाई 4 साल की सजा (सांकेतिक तस्वीर)

मुख्य बातें
  • घूसखोर बैंक मैनेजर को इंदौर कोर्ट ने सुनाई 4 साल की सजा
  • लोन की सब्सिडी अकाउंट में जमा करने की एवज में मांगी थी घूस
  • फरियादी ने लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में करवाई थी शिकायत दर्ज


MP: मध्य प्रदेश की इकाॅनोमिक कैपिटल इंदौर से ये एक बड़ी खबर सामने आई है। यहां की जिला एवं सत्र न्यायालय ने घूस के एक मामले में एक बैंक मैनेजर को 4 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। आरोपी मैनेजर ने एक ऑटो रिक्शा का ऋण पास करने के एवज में घूस मांगी थी। जिस पर पीड़ित की शिकायत पर आरोपी मैनेजर को लोकायुक्त की टीम ने ट्रैप किया था।

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कोर्ट ने सुनाई ये सजा इसके बाद घूसखोरी कर यह मामला इंदौर की डीजे कोर्ट में पहुंचा था। इसके बाद चली सुनवाई में अब फैसला देते हुए कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार दिया है। जिला लोक अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव के मुताबिक, विशेष न्यायाधीश राकेश गोयल ने प्रकरण क्रमांक 13/2017 में फैसला देते हुए दोषी बैंक मैनेजर भरत को पीसी एक्ट की धारा 7, 13(1) (डी), 13 (2) में 4-4 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। लोक अभियोजक के मुताबिक, कोर्ट ने अपने फैसले में आरोपी पर अर्थदंड भी लगाया है, जिसे अदा नहीं करने पर 3 महीने की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक ज्योति गुप्ता ने की थी।

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ये था पूरा मामला फरियादी देवदास मकवाना ने 5 अक्टूबर 2016 को लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में एक शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत के आवेदन में लिखा था कि, उनका एक ग्रामीण बैंक की सुदामा नगर ब्रांच में ऑटो रिक्शा खरीदने के लिए 9 अगस्त 2016 को 2 लाख रुपए का ऋण स्वीकृत हुआ था। जिसमें 40 हजार रुपए की सब्सिडी प्राप्त हुई थी। पीड़ित देवदास 2 सितंबर 2016 को बैंक में गया। वहां पर प्रबंधक भरत से मिला व ऋण की राशि देने और सब्सिडी की रकम के बारे में बताया। पीड़ित ने शिकायत में आरोप लगाया है कि, बैंक प्रबंधक भरत ने पीड़ित से स्वीकृत ऋण की राशि का चेक देने सहित सब्सिडी की रकम को ऋण के अकाउंट में डिपोजिट करने की एवज में 20 हजार रुपए की घूस मांगी। पीड़ित ने शिकायत में लिखा था कि, बैंक मैनेजर ने धमकी दी थी कि, अगर घूस की रकम नहीं दी तो सब्सिडी की रकम ऋण के अकाउंट में जमा नहीं की जाएगी।

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