उज्जैन में हरिद्वार की तर्ज पर बनाए जाएंगे स्थायी आश्रम, सिंहस्थ मेले को लेकर तैयारियां तेज

मध्य प्रदेश सरकार ने संतों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए स्थायी आश्रम बनाने की योजना बनाई है। सिंहस्थ मेले के मद्देनजर सड़क, बिजली, पेयजल आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं पर भी काम किया जाएगा।

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भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार को कहा कि संतों, साधुओं और अन्य धार्मिक नेताओं को हरिद्वार की तर्ज पर उज्जैन में स्थायी आश्रम बनाने की अनुमति दी जाएगी। सीएम ने 2028 में उज्जैन में आयोजित होने वाले सिंहस्थ मेले की तैयारियों को लेकर संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। उज्जैन को संतों के लिए जाना जाता है। 12 साल में एक बार आयोजित होने वाला सिंहस्थ मेला 2028 में आयोजित होने जा रहा है। शहर में साधुओं और संतों को रहने और अन्य गतिविधियों के लिए उचित स्थान की आवश्यकता होती है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने संतों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए स्थायी आश्रम बनाने की योजना बनाई है।

सिंहस्थ मेले की तैयारियां तेज

उन्होंने कहा कि हरिद्वार में साधुओं और संतों के लिए दी जा रही सुविधाओं की तरह ही उज्जैन में भी स्थायी आश्रम बनाए जाएंगे और उज्जैन विकास प्राधिकरण इस योजना को लागू करेगा। संत, महंत, अखाड़ों के प्रमुख और अन्य धार्मिक नेता सभी को आमंत्रित कर आश्रम बनाने की दिशा में काम कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंहस्थ मेले के मद्देनजर सड़क, बिजली, पेयजल आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं पर भी काम किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि हरिद्वार की तर्ज पर उज्जैन को भी धार्मिक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए जनप्रतिनिधियों की मदद से योजना तैयार की गई है। यादव ने बताया कि बुनियादी सुविधाओं पर काम करते हुए चार-लेन और छह-लेन पुल समेत स्थायी बुनियादी ढांचे तैयार करने के काम किए जाएंगे और साथ ही आश्रम भी बनाए जाएंगे। इच्छुक श्रद्धालुओं के माध्यम से धर्मशालाएं, चिकित्सा केंद्र और आयुर्वेद केंद्र समेत अन्य प्रतिष्ठान स्थापित करने को भी प्राथमिकता दी जाएगी।

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