Raisen : बाघ का हौवा खत्म, रेस्क्यू टीमों को चबवाए नाक के चने; श्रमिक को बनाया था निवाला

बाघ के रेस्क्यू से रायसेन जिला मुख्यालय के आसपास रेवासी कॉलोनी में लोगों के बीच दहशत खत्म हो गई है। अब लोग राहत की सांस ले रहे हैं।

बाघ का रेस्क्यू

रायसेन: जिला मुख्यालय के आसपास पिछले कई महीनों से एक बाघ का मूवमेंट बना हुआ था। 20 दिन से टाइगर को रेस्क्यू करने के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, पन्ना टाइगर रिजर्व से 40 लोगों का एक दल मशक्कत कर रहा था, जिसमें पांच हाथी भी शामिल थे। इस बाघ को पकड़ने के लिए लगातार रेस्क्यू किया जा रहा था। हालांकि, रेस्क्यू दल को बाघ को पकड़ने में कामयाबी मिली है। इसका नाम रॉयल टाइगर रखा गया था। यह लगातार दिसम्बर माह से रायसेन जिला मुख्यालय के आसपास देखा जा रहा था। कुछ दिन पहले इसने नीमखेड़ा गांव में एक तेंदूपत्ता श्रमिक पर भी हमला कर दिया था। इसके हमले से श्रमिक की मृत्यु हो गई थी। इस घटना के बाद रायसेन वन मंडल के अलग अलग दल लगातार इस बाघ के मूवमेंट पर नजर रख रहे थे।

रायसेन में 70 से अधिक बाघ

रायसेन मनमंडल के डीएफ डीएफओ विजय कुमार ने बताया कि यह बाघ आदमखोर नहीं था। एक दुर्घटना बस तेंदूपत्ता श्रमिक पर इसने हमला किया था। डीएफओ ने बताया ऐसा नहीं है कि रायसेन में सिर्फ एक ही टाइगर था। बाघों की गणना के आंकड़ों के अनुसार रायसेन जिले में 70 से अधिक बाघ हैं। इनका आसपास के जंगलों में वर्षों से विचरण है, लेकिन रायसेन जिले में मौजूद कोई भी टाइगर नरभक्षी नहीं है।

आज जिस बाघ का रेस्क्यू किया गया है, वह यहां का लोकल बाघ नहीं था। यह भटकता हुआ महू जिले ले जंगलों से रायसेन आ गया था। इस कारण इसका व्यवहार भी रायसेन जिले के बाघों से अलग था। कम आयु में अपनी मां से बिछड़ने के कारण यह ठीक से शिकार नहीं कर पाता था। साथ ही शिकार के बाद जानवर के जिस हिस्से में मांस अधिक होता उसे न खाकर यह अन्य हिस्से को खाता था। फिलहाल, बाघ के रेस्क्यू से रायसेन जिला मुख्यालय के आसपास रेवासी कॉलोनी में दहशत खत्म हो गई है और लोगों ने राहत की सांस ली है।

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