शीतलाष्टमी 2023: एमपी के ग्वालियर में है शीतला देवी का सदियों पुराना मंदिर, यहां डकैत करते हैं देवी की आराधना, जानिए पूरी कहानी
Shitalashtami 2023: ग्वालियर जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी की दूरी पर घने जंगलों में पहाड़ी पर स्थित है प्राचीन शीतला मां का मंदिर। बताया जाता है कि, डकैतों की आराध्य के तौर पर पहचान रखने वाला मां का ये मंदिर करीब 1669 साल पुराना है। डकैतों के खात्मे के लिए पुलिस को भी मां की शरण में जाना पड़ा था।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में है डकैतों की आराध्या मां शीतला का मंदिर (फाइल फोटो)
मुख्य बातें
- चंबल के डकैतों की आराध्या है देवी मां शीतला
- डकैत चढ़ाते हैं मनौती पूरी होने पर मंदिर में घंटा
- पुलिस भी देवी मां की करती है उपासना
Shitalashtami 2023: मध्य प्रदेश में देवी मां के कई ऐतिहासिक और प्राचीन देवी मंदिर हैं। जिनमें यहां के लोगों की गहरी आस्था है। यहां एक मंदिर ऐसा भी है, जहां पर खुद चंबल के डकैत अपनी रक्षा के लिए मां की आराधना करते थे। इसमें सबसे खास बात तो ये है कि, डकैतों के आतंक के खात्मे को लेकर पुलिस को भी मां की शरण में जाना पड़ गया। संबंधित खबरें
तो चलिए आपको बताते हैं इस खास देवी मां के मंदिर के बारे में। ग्वालियर जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी की दूरी पर घने जंगलों में पहाड़ी पर स्थित है प्राचीन शीतला मां का मंदिर। बताया जाता है कि, डकैतों की आराध्य के तौर पर पहचान रखने वाला मां का ये मंदिर करीब 1669 साल पुराना है। संबंधित खबरें
डकैत चढ़ाते थे मंदिर में घंटावर्तमान में भले ही चंबल के बीहड़ों में डकैतों का वो खौफ नहीं रहा जो कभी 80 व 90 के दशक में हुआ करता था। पुलिस के लिए हमेशा से चुनौती रहे इन बीहड़ों के डकैतों की कभी यहां तूती बोलती थी। घने जंगलों में सांतऊ क्षेत्र में पहाड़ी पर मौजूद इस शीतला माता मंदिर में डकैत शीश नवाने आते थे। जिनमें मुख्य तौर पर मलखान सिंह, माधो सिंह, दयाराम रामबाबू गडरिया गैंग, मोहर सिंह देवी मां के बड़े उपासक माने जाते थे। खास बात ये थी कि, इन डकैतों ने मां के भक्तों के साथ कभी गलत नहीं किया और ना ही इस इलाके में किसी से लूटपाट की। डकैत मां के चरणों में शीश झुका कर मनौती मांगते थे। मनोकामना पूरी होने पर डकैत यहां पर घंटा चढ़ाते थे।
जानिए मंदिर का पौराणिक इतिहासइलाके के जानकार लोगों के मुताबिक, देवी मां के उपासक गजाधर की उपासना से देवी मां प्रसन्न हुई और एक कन्या के रूप में प्रकट होकर गजाधर को अपने साथ ले जाने के लिए बोली। इसके बाद भक्त गजाधर ने सांतऊ पहुंच देवी का ध्यान किया तो वे घने जंगलों में पहाड़ी पर प्रकट हो गई। इसके बाद देवी मां के मंदिर का निर्माण करवाया गया। वर्तमान में महंत गजाधर की 5वीं पीढ़ी के नाथूराम मंदिर में पूजा- अर्चना करते हैं।
आखिर पुलिस को आना पड़ा मां की शरण मेंचंबल के बीहड़ों में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे रिटायर्ड पुलिस अधिकारी अशोक भदौरिया के मुताबिक डकैतों के खात्मे के लिए पुलिस को भी मां की शरण में जाना पड़ा। इसके पीछे की वजह थी दयाराम रामबाबू गडरिया गैंग का इलाके में आतंक। पुलिस भी मां के दर पर पहुंची और इस गैंग के खात्मे की मनोकामना मांगी। रिटायर्ड अधिकारी भदौरिया के मुताबिक इसके बाद गडरिया गैंग का खात्मा किया गया व मां के मंदिर में पुलिस ने घंटा चढ़ाया।
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