Navratri Special: हजारों साल का इतिहास समेटे हुए है मां विजयासन का पावन धाम, जानिए क्या है भोपाल के नवाब से जुड़ी कहानी
The holy abode of Maa Vijayasan has a history of thousands of years, know what is story related to Nawab of Bhopal
ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर लगभग 6,000 साल पुराना है
मुख्य बातें
- विंध्याचल की पहाड़ियों में एक हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है मंदिर
- नवरात्रि में लाखों भक्त आते हैं माता के दरबार में
- 80 सीसीटीवी कैमरों से भक्तों पर नजर रखता है प्रशासन
भोपाल के निकट सीहोर में विंध्याचल के पहाड़ पर एक हजार फीट ऊंचाई पर विराजमान है विजयासन मैया का दरबार। यह मंदिर सलकनपुर में है। प्राचीन श्रीदेवी धाम शक्ति पीठ सलकनपुर से देश और प्रदेश के लाखों श्रद्धालुओं की अस्था जुड़ी हुई है। नवरात्रि में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर माता के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। नवरात्र पर्व के पहले दिन से ही माता के भक्तों में काफी उत्साह देखा जा रहा है।
बता दें कि कोरोना के सभी प्रतिबंध हटने के बाद इस साल प्रदेश भर से प्रतिदिन 4-5 लाख भक्तों के आने की उम्मीद है। नवरात्रि के नौ दिवसीय उत्सव के लिए सलकनपुर में तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। खासकर बुजुर्ग और अन्य कमजोर व्यक्ति अंडर पास सहित ट्राई साइकिल के जरिए पहुंचकर माता के दर्शन आसानी से कर पा रहे हैं। 80 सीसीटीवी से भक्तों पर निगरानी रखी जा रही है। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी कर दिए गए हैं।
मनोहरी हैं आसपास की पर्वत श्रृंखलाएंजानकारी के लिए बता दें कि एमपी की हृदयस्थली पुण्य सलिला मां नर्मदा के तट और सीहोर जिले की बुदनी तहसील से 25 किमी और होशंगाबाद से 35 किमी और राजधानीभोपाल से 70 किलोमीटर की दूरी पर विंध्याचल की हसीन वादियों में प्रकृति ने अपनी अनमोल छटा बिखेर रखी है। इस देवीधाम सलकनपुर की बात ही निराली है। चारों ओर मनोहारी पर्वत श्रृंखलाएं सभी को आकर्षित करती हैं। जिनमें एक पर्वत पर मां विजयासेन देवी का भव्य और दिव्य मंदिर बना हुआ है।
रक्तबीज दानव का वध माता ने किया था
मिला जानकारी के मुताबिक शारदीय और चैत्रीय नवरात्रि में मां की चौखट पर माथा टेकने दूरदराज से लाखों की संख्या में लोग आते हैं। हरियाली से भरे इस 1000 फीट ऊंचे पर्वत पर अलौकिक सौंदर्य के बीच मां की सुंदर प्रतिमा के दर्शन, परिक्रमा, वंदना, स्तुति कर अपनी मनोकामना पूरी कर पाते हैं। अनेक भक्तों की मां विजयासन कुलदेवी भी हैं, इसलिए यहां भक्तों की भीड़ अधिक संख्या में उमड़ती है। मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि, मां विजयासन माता पार्वती का ही अवतार मानी गई हैं। मां ने रक्तबीज नामक राक्षस का संहार कर सृष्टि की रक्षा की थी।
हजारों सालों का है इतिहास
ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर लगभग 6,000 साल पुराना है। जहां जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंचने पर इस मंदिर का जीर्णोद्धार अनेकों बार किया गया है। इसकी व्यवस्था भोपाल के नवाब के संरक्षण में होती रहती थी। तब से यहां पर अखंड धूनी और अखंड ज्योति स्थापित की जा चुकी थी, जो सालों से आज भी प्रज्वलित हो रही है। गर्भगृह में विजयासन देवी की प्रतिमा स्वयंभू है, जिसे किसी के द्वारा कभी तराशा नहीं गया, परंतु बाद में चांदी के नेत्र एवं मुकुट आदि से देवी की प्रतिमा को सजाया गया है।
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टाइम्स नाउ नवभारत author
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