सीहोर में बोरवेल में गिरी ढाई साल की मासूम को 18 घंटे से बचाने की कोशिश जारी,कौन है जिम्मेदार
Sehore Rescue Operation: बोरवेल में बच्चों के गिरने के मामले नए नहीं हैं। एक ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश के सीहोर से आया है जहां ढाई साल की मासूम बोरवेल के गड्डे में गिर गई और उसे बचाने की कोशिश जारी है।
सीहोर में बोरवेल में गिरी बच्ची
मुख्य बातें
- बोरवेल के गड्डे में गिरी मासूम
- मध्य प्रदेश के सीहोर का मामला
- एनडीआरएफ की टीमें बचाव में जुटीं
Sehore Rescue Operation: मध्य प्रदेश के सीहोर में बोरवेल में गिरी ढाई साल की मासूम सृष्टि को बचाने की कोशिश जारी है। सृष्टि पिछले 19 घंटे से जिंदगी की जंग लड़ रही है। उसे निकालने के लिए पोकलेन की मदद से बोरवेल के समांतर खुदाई की जा रही है। बताया जा रहा है कि अब वो और गहराई में चली गई है। इस मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने राहत और बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग बता रहे हैं कि किस तरह से बच्ची को बचाया जा सकता है, उनमें से एक सुझाव कुछ ऐसे है, छोटा सा जुगाड़ बना कर बच्ची को बचाया जा सकता है, एक छोटा सा शिकंजा जिसे पाइप के सहारे नीचे भेजा जाए, जो बच्ची के पास जाकर उसे जकड़ ले, फिर से ऊपर खींच लिया जाएगा, ऐसा जुगाड़ बनना आसान है, मैकेनिक ही बना सकते हैं। यह जुगाड़ इस समस्या का हमेशा का हल है।
कहां का है मामला
सीहोर जिले के मुंगावली गांव में सृष्टि अपने घर के पास ही खेल रही थी और वो खेत में बने बोरवेल के खुले गड्डे में गिर गई। सृष्टि की दादी का कहना है कि जब उसने अपनी पोती के गिरने की आवाज सुनी तो वो उस जगह पर पहुंची। लेकिन बचा पाने में नाकाम रही। इस घटना की जानकारी तुरंत गांव और प्रशासन के लोग मौके पर पहुंचे और बच्ची को निकालने का काम शुरू हुआ। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट के जरिए बताया कि मासूम के बोरवेल में गिरने की जानकारी मिली। मौके पर एनडीआरएफ की टीम है और मासूम बच्ची को निकालने की कोशिश की जा रही है।
बोरवेल में मासूमों के गिरने के मामले सिर्फ मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं है। देश के अलग अलग राज्यों में पहले भी इस तरह के मामले सामने आए हैं। यहां पर सवाल यह है कि इस तरह के हादसों के लिए जिम्मेदार कौन है। जानकार कहते हैं कि अगर आप पहली नजर में देखें तो वे लोग जो अपने खेतों में खुले बोरवेल को छोड़ देते हैं उनकी पहली जिम्मेदारी बनती है। उसके बाद प्रशासन की भी जिम्मेदारी बनती है। कायदे से तो यह राज्य सरकार का काम है कि वो इस संबंध में कोई नीति बनाए।
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