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विक्रम सम्वत् प्रकृति के संरक्षण, संवर्धन और विकास का उत्सव: CM मोहन यादव

'यह हमारे पूर्वजों के शोध की विशेषता है कि हजारों वर्ष पहले पूर्वजों को ग्रहों की गति और नक्षत्रों की स्थिति का पूर्ण ज्ञान था और इस गणना को ही वैदिक घड़ी कहा गया है। बाबा महाकाल की नगरी विश्व में कालगणना का केंद्र रही है।' यह बात नव वर्ष (गुड़ी पड़वा) के अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने ब्लॉग में कही है। नीचे पढ़िए उनका ब्लॉग।

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विक्रम संवत 2082 के आरंभ पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का ब्लॉग।

भारतीय नववर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...

आज से विक्रम सम्वत् 2082 आरंभ हुआ है। यह प्रदेशवासियों के लिये गर्व और गौरव का विषय है कि भारतीय नववर्ष विक्रम सम्वत् के उज्जयिनी से शुरू हुआ। यह सम्राट विक्रमादित्य के राज्याभिषेक की तिथि है। सम्राट विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांताओं को पराजित कर विक्रम सम्वत् का प्रवर्तन किया था। न्यायप्रियता, ज्ञानशीलता, धैर्य, पराक्रम, पुरुषार्थ, वीरता और गंभीरता जैसी विशेषताओं के लिए सम्राट विक्रमादित्य को समूचे विश्व में स्मरण किया जाता है। उन्होंने सुशासन के सभी सूत्रों को स्थापित करते हुए अपने सुयोग्य 32 मंत्रियों का चयन किया, इसीलिए उनके सिंहासन को ‘सिंहासन बत्तीसी’ कहा जाता है।

भारतीय नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन ऋतु परिवर्तन के अनुरूप स्वयं को सक्षम बनाने का समय है। इसे कहीं 'गुड़ी पड़वा' तो कहीं 'चैती चांद', कहीं 'युगादि' तो कहीं 'उगादि' और कहीं 'नवरोज अगदु' के रूप में मनाया जाता है। विविध स्वरूपों में मनाया जाने वाला नववर्ष का यह पर्व ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को स्थापित करता है। इसके साथ नवरात्र का आरंभ होता है। यह नौ दिन आरोग्य, साधना और कायाकल्प के लिए होते हैं।

नव सम्वत्सर की तिथि सृष्टि निर्माण की तिथि है। इसका निर्धारण संपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ हुआ है। इसे मनाने की परंपरा व्यक्ति, परिवार और समाज, तीनों के स्वस्थ जीवन और समृद्धि को ध्यान में रखकर शुरू की गई। यह हमारे पूर्वजों के शोध की विशेषता है कि हजारों वर्ष पहले पूर्वजों को ग्रहों की गति और नक्षत्रों की स्थिति का पूर्ण ज्ञान था और इस गणना को ही वैदिक घड़ी कहा गया है। बाबा महाकाल की नगरी विश्व में कालगणना का केंद्र रही है। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उज्जैन की वेधशाला में स्थित विश्व की पहली विक्रमादित्य वैदिक घड़ी की पुनर्स्थापना की है।

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