डीजल इंजनों को काटकर ले जा रहे कबाड़ी! ट्रैक पर किए टुकड़े-टुकड़े; नीलामी में रेलवे को मिले इतने रुपये

जबलपुर के सतपुला रेलवे यार्ड पर खड़े पुराने डीजल इंजनों की नीलामी कर बेच रहा है। नीलामी में खरीदे गए पुराने रेल इंजनों को कबाड़ी यार्ड से ही काटकर टुकड़ों में ले जा रहे हैं।

जबलपुर रेलवे

जबलपुर: भारतीय रेल के इंजनों को काटकर इन दिनों कबाड़ी अपने गोदामों में ले जा रहे हैं। इंजनों को काटकर कबाड़ियों के द्वारा इन्हें लोड कर ले जाने के नजारे को देखकर हर कोई हैरत में है। ये कबाड़ में बेचे गए वो रेल इंजन हैं, जिन्हें काटने के काम में मज़दूर जुटे हैं। ये रेलवे के डीजल इंजन हैं… जो अब किसी काम के नहीं रहे तो इन्हें कबाड़ियों को बेच दिया गया। दरअसल, ये डीजल इंजन जबलपुर के यार्ड पर खड़ें हैं। कबाड़ी इन रेल इंजन को रेल ट्रैक पर ही छोटे छोटे हिस्सों में काट रहे हैं, जिसके बाद इन्हें ट्रकों में भर कर कबाड़ियों के गोदाम ले जाया जाएगा, लेकिन ये काम इतना आसान भी नहीं है। एक इंजन को तोड़ने में कम से कम 3 दिन का समय लगता है।

पश्चिम मध्य रेलवे का इलेक्ट्रिफिकेशन

जानकारी के मुताबिक, एक एक इंजन 96,000 किलो वजन का है। ट्रैक पर ही इंजन को तोड़ने की बड़ी वजह ये है कि इतने भारी इंजन को गोदाम तक ले जाना खर्चीला और चुनौतीपूर्ण है। दरअसल, रेलवे ने भी मौके पर ही खड़े डीजल लोको की नीलामी की थी। इसके बाद का खर्चा खरीददार को उठाना था। ऐसे में कबाड़ियों ने ट्रैक पर ही इंजन को तोड़ने का फैसला लिया। पश्चिम मध्य रेलवे का पूरी तरह से इलेक्ट्रिफिकेशन हो चुका है। यही वजह है कि रेलवे ने डीजल इंजन बेच दिए इनका कोई खरीददार नहीं मिला तो देश में ही कबाड़ियों को नीलामी में बेच दिया गया। कई दिनों से दिन-रात डीजल लोको को गैस कटर के जरिए काटने में कबाड़ी जुटे हुए हैं। पश्चिम मध्य रेलवे पूरी तरह से इलेक्ट्रिफिकेशन हो चुका है।

रेलवे ने 80 से अधिक लोको डीजल को बेचने के लिए अंतरराष्ट्रीय सेल लगाई थी, जिसमें कि बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल को भी निविदा के लिए बुलाया गया था। उम्मीद थी कि भारत के पड़ोसी देश भारतीय रेल के डीजल लोको को खरीद लेंगे पर उन्होंने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। लिहाजा, इसके बाद रेलवे ने देश में ही डीजल लोको को बेचने के लिए नीलामी शुरू कर दी, जो कि कबाडियों की थी। WCR के जबलपुर मंडल में खड़े डीजल लोको के खरीदने के लिए जबलपुर सहित आसपास के राज्यों से कबाड़ी पहुंचे और उन्होंने खरीदे भी। जबलपुर के सतपुला यार्ड में खड़े चार डीजल लोकों अभी तक बिक चुके है, जिन्हें तकरीबन एक करोड़ रुपये में खरीदा गया है।

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