Mission Daksh In Bihar: बिहार सरकार शुरू करेगी मिशन दक्ष योजना, पढ़ने लिखने में कमजोर छात्रों को मिलेगा लाभ
Mission Daksh In Bihar: बिहार में करीब 25 लाख पढ़ने और लिखने में कमजोर छात्रों के लिए मिशन दक्ष शुरू करने का फैसला लिया गया है। इस मिशन की शुरुआत 1 दिसंबर से की जाएगी।
बिहार के 25 लाख पढ़ने-लिखने में कमजोर छात्रों के लिए मिशन दक्ष
तस्वीर साभार : भाषा
इस पत्र के अनुसार जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलावार निगरानी करने के लिए समितियों का निर्माण किया जाएगा। जारी इस पत्र के बाद जिलाधिकारियों ने जुलाई में नियमित निरीक्षण और निगरानी शुरू की और पाया कि लगभग सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने-लिखने में कमजोर छात्रों की संख्या बहुत अधिक है। इस निगरानी प्रक्रिया के बाद विभाग ने राज्य भर के सभी सरकारी स्कूलों में एक दिसंबर से 'मिशन दक्ष' शुरू करने का फैसला लिया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य कमजोर छात्रों के शिक्षण स्तर में सुधार करना है।
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पांच छात्रों के समूह का किया जाएगा मार्गदर्शन
एक अधिकारी ने बताया कि "मिशन दक्ष" के तहत राज्य शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को कहा है कि वह अधिकतम पांच छात्रों का समूह बनाएंगे और उनका मार्गदर्शन करेंगे। इतना ही नहीं शिक्षकों को चेतावनी भी दी गई है कि यदि इसमें लापरवाही बरती जाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
पत्र में जारी निर्देशों के अनुसार पढ़ने-लिखने में कमजोर छात्र स्कूलों में अपने अन्य साथियों से बहुत पीछे हैं। उनमें से कुछ छात्र ऐसे भी है जो उच्च प्राथमिक कक्षाओं में पहुंचने के बावजूद हिंदी के सरल शब्दों को ठीक से नहीं पढ़ पाते हैं।" ऐसे छात्रों की पहचान प्राथमिकता के आधार पर की जाने की आवश्यकता है। उन्होंने पत्र में कहा कि इसके बाद प्रधानाध्यापक शिक्षकों को अतिरिक्त कक्षाएं लेने के लिए कहेंगे। एक समय पर पांच से ज्यादा छात्र नहीं होने चाहिए। ऐसे छात्रों को कठिन अवधारणाओं को समझने और सीखने के लिए व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।"
आगे पत्र में कहा गया कि "ऐसे सभी 25 लाख कमजोर छात्र अप्रैल 2024 की अंतिम परीक्षाओं में शामिल होंगे। यदि ये छात्र परीक्षाओं में फेल होते हैं तो शिक्षा विभाग उनके संबंधित हेडमास्टर, शिक्षक और प्रधानाचार्यों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।"
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए पिछले एक वर्ष से कड़े कदम उठा रही है। सितंबर में पाठक ने जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) को उन छात्रों के माता -पिता के साथ बातचीत करने का निर्देश दिया था जिसकी उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम है। इसके साथ ही इसमें सुधार के उपायों के बारे में भी सोचने को कहा गया था।
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