मधेपुरा: यहां नंगे पाव आए थे राजा दशरथ, राम और उनके भाइयों से जुड़ा है इतिहास

बिहार का मधेपुरा कई मायनों में खास है। एक ओर यहां विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज है तो दूसरी ओर यहां का सिंहेश्वर स्थान। यह जगह अपनी धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध है- आइए आज मधेपुरा के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानते हैं, जहां से राजा दशरथ और राम सहित सभी भाईयों का नाम जुड़ा है-

मधेपुरा, सिंघेश्वर स्थान

बिहार का मधेपुरा, जो कभी मध्यपूरा के नाम से जाना जाता था। कहते हैं कि यह कोसी घाटे के मध्य में है, इसलिए इसे मध्यपुरा कहा जाता है। मधेपुरा अपनी धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध जगह है। यहां का चंडी स्थान, सिंहेश्वर स्थान, बाबा बिशु राउत मंदिर आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से हैं। मधेपुरा का रेल कारखाना पूरे भारत में फेमस है। जनगणना 2011 के अनुसार यहां कुल 434 गांव हैं। यहां की जनसंख्या 1,994,618 है। आपको बता दें कि मधेपुरा में एक विश्वविद्यालय, एक मेडिकल कॉलेज और एक इंजीनियरिंग कॉलेज भी है। मधेपुरा में अल्स्टॉम और रेलवे का संयुक्त उद्यम है, जो शक्तिशाली विद्युत इंजिन बनाने का काम करती है।

कैसे पड़ा नाम ?

इसके नाम को लेकर की बातें कहीं जाती हैं। इसके नाम को लेकर ये भी कहा जाता है कि यहां भगवान कृष्ण के कुल के ज्यादातर माधव लोग रहते हैं,जिस वजह से इसे मधेपुरा कहा जाता है। हालांकि, कोसी के मध्य में होने से इसे मध्यपुरा और बाद में मधेपुरा कहा जाने लगा।

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