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वादियों में फर्राटा भरने के लिए हो जाएं तैयार, खोला गया जोजिला दर्रा; 32 दिन बाद कश्मीर घाटी से कनेक्ट हुआ लद्दाख

Zojila Darra Open: विंटर सीजन में बंद किए गए जोजिला दर्रा को 32 दिन बाद बीआरओ ने आवाजाही के लिए खोल दिया। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस साल, पश्चिमी विक्षोभ के कारण 27 फरवरी से 16 मार्च तक 17 दिनों तक लगातार बर्फबारी के कारण दर्रे को बंद अवधि का सामना करना पड़ा। यहां जमा हुई बर्फ की विशाल मात्रा एक विकट चुनौती बन गई थी।

Zojila Darra Route OpenZojila Darra Route OpenZojila Darra Route Open

जोजिला दर्रा (फाइल फोटो)

Zojila Darra Open: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने 32 दिनों तक बंद रहने के बाद रिकॉर्ड समय में जोजिला दर्रे को खोल दिया है। मंगलवार 1 अप्रैल को बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने लद्दाख की ओर पहले काफिले को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। गौरतलब है कि जोजिला दर्रा कश्मीर घाटी को लद्दाख से जोड़ने वाले विश्व के सबसे महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण ऊंचाई वाले दर्रों में से एक है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस साल, पश्चिमी विक्षोभ के कारण 27 फरवरी से 16 मार्च तक 17 दिनों तक लगातार बर्फबारी के कारण दर्रे को बंद अवधि का सामना करना पड़ा। यहां जमा हुई बर्फ की विशाल मात्रा एक विकट चुनौती बन गई थी। हालांकि बीआरओ कर्मियों ने यहां शून्य से नीचे के तापमान में काम करके स्थिति में सुधार किया।

15 दिनों में बर्फ साफ

इस दौरान बीआरओ कर्मियों को तेज बर्फीली हवाओं और हिमस्खलन-बहुल इलाकों में विषम परिस्थितियों में काम करना पड़ा। इन सब कठिनाइयों के बावजूद 17 से 31 मार्च के बीच रिकॉर्ड 15 दिनों में बर्फ को साफ कर दिया गया। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि हर साल, इस दुर्गम दर्रे पर भारी बर्फबारी होती है। जिसके कारण भीषण ठंड के महीनों में इसे बंद करना पड़ता है। इस अस्थायी बंद होने से न केवल सैनिकों और आवश्यक आपूर्ति की आवाजाही प्रभावित होती है, बल्कि लद्दाख में स्थानीय आबादी का दैनिक जीवन भी बाधित होता है, जो व्यापार, चिकित्सा सहायता और आर्थिक गतिविधियों के लिए इस मार्ग पर निर्भर है। तकनीकी प्रगति, बेहतर बर्फ-निकासी तकनीकों और बीआरओ के अथक प्रयासों के कारण अब मार्ग बंद होने की यह अवधि कम होकर कुछ सप्ताह की ही रह गई है। वहीं, कुछ दशक पहले तक यह अवधि छह माह तक रहती थी।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि जोजिला दर्रे को फिर से खोलना बीआरओ के समर्पण का प्रमाण है। बीआरओ के पास सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस दर्रे पर मार्ग की बहाली सुनिश्चित करने के लिए कश्मीर में प्रोजेक्ट बीकन और लद्दाख में प्रोजेक्ट विजयक है।

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