Chandigarh: बदलने वाली है चंडीगढ़ के गांवों की तस्वीर, नए साल में मिला बड़ा तोहफा, मिलेंगी शहरों जैसी सुविधाएं

Chandigarh: चंडीगढ़ के 22 गांवों में इस साल विकास की बयार बहेगी। चंडीगढ़ प्रशासन ने सभी गांवों में विकास का खाका चंडीगढ़ मास्टर प्लान-2031 के तहत तैयार किया है। प्रशासन अभी लाल डोरा पॉलिसी पर कार्य कर रही है, जिसके पूरा होने के बाद गांव में विकास कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए स्पेशल विलेज प्लानिंग सेल भी बनाया जा चुका है।

चंडीगढ़ शहर का खूबसूरत दृश्‍य

मुख्य बातें
  • चंडीगढ़ मास्टर प्लान-2031 के तहत होगा विकास कार्य
  • विकास कार्यों के लिए प्रशासन ने बनाया स्पेशल विलेज प्लानिंग सेल
  • अभी लाल डोरा पॉलिसी पर हो रहा, जल्‍द ही शुरू होगा निर्माण कार्य

Chandigarh: चंडीगढ़ देश की पहली प्‍लांट सिटी है। इस शहर को इसकी ग्रीनरी, खुलेपन और स्वच्छ वातावरण के लिए पूरे विश्‍व में पहचान मिली है, लेकिन यही चमचमाती खूबसूरती इस शहर के गांवों में पहुंचते ही खो जाती है। गांव की बदहाल सड़कें, बहते सीवर और संकरी गलियां चंडीगढ़ की खूबसूरती पर धब्बे की तरह हैं। यूटी प्रशासन अब अपने इस दाग को धोने की तैयारी कर रहा है। इस साल चंडीगढ़ के गांवों में विकास की बयार बहेगी। इन गांवों में भी सभी मूलभूत और मॉडर्न सुविधा विकसित की जाएंगी। प्रशासन ने डेवलपमेंट की पूरी योजना तैयार कर ली है। चंडीगढ़ के सभी 22 गांवों में जल्‍द ही सभी निर्माण कार्य शुरू कर दिए जाएंगे।

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चंडीगढ़ प्रशासन ने सभी गांवों में विकास का खाका चंडीगढ़ मास्टर प्लान-2031 के तहत तैयार किया है। अभी प्रशासन गांवों की लाल डोरा की समस्या को खत्म करने में जुटा है। बता दें कि, लाल डोरा की ड्राफ्ट पॉलिसी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन सेटलमेंट बेंगलुरू (आईआईएचएस) ने तैयार की है। इस प्लान को इंप्लीमेंट कराने के लिए स्पेशल विलेज प्लानिंग सेल भी बनाया जा चुका है। यह सेल नगर निगम, अर्बन प्लानिंग डिपार्टमेंट और सीएचबी के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। इस समस्‍या के खत्‍म होने के बाद यहां पर विकास कार्य शुरू किए जाएंगे। अधिकारियों के अनुसार, पूरा प्‍लान तैयार है। जल्‍द ही विकस कार्यों के लिए डेंटर प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगा।

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चंडीगढ़ की आधी आबादी रहती है इन 22 गांवों मेंबता दें कि, चंडीगढ़ को बसाने से पहले यहां पर सिर्फ 22 गांव ही होते थे। इन गांवों की जमीन पर ही इस खूबसूरत शहर को बसाया गया। यह शहर तो आबाद हो गया, लेकिन ये गांव विकास की दौड़ में बहुत पीछे छूट गए। चंडीगढ़ नगर निगम ने इनमें से पहले तीन, फिर छह और अब आखिर में 13 गांवों को चंडीगढ़ के अंदर शामिल किया, लेकिन इसके बाद भी इन गांव में विकास ने रफ्तार नहीं पकड़ी। जबकि इन गांवों में चंडीगढ़ की कुल आबादी की करीब 50 फीसद जनसंख्‍या रहती है। गांवों में विकास कार्य न होने के कारण इन गांव के निवासी नगर निगम में शामिल होने पर भी नाराजगी जताते रहे हैं। चंडीगढ़ शहर को देखने के बाद अगर इन गांवों को देखा जाए तो तस्वीर एक दम उल्टी नजर आती है। यहां पर आज भी बदहाल सड़कें और मूलभूत सुविधाओं का आभाव नजर आता है।

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