परोल राम रहीम का अधिकार, नहीं करेंगे हस्तक्षेप,हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर की दो टूक
डेरा सच्चा सौदा के मुखिया राम रहीम इस समय जेल से आजाद है। 40 दिन के लिए परोल हासिल करने के बाद वो शनिवार को रोहतक की सुनारिया जेल की चारदिवारी से बाहर निकले। इस मुद्दे पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने भी अपनी राय रखी।
मनोहर लाल खट्टर, हरियाणा के सीएम
डेरा सच्चा सौदा के मुखिया गुरमीत राम रहीम परोल पर सुनारिया जेल से बाहर हैं। रेप के केस में 20 साल की सजा काट रहे राम रहीम को 40 दिन की परोल मिली है। राम रहीम के परोल पर जब हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर से पत्रकारों ने पूछा तो उनका जवाब साफ था कि हस्तक्षेप नहीं करेंगे यह उनका अधिकार है। उन्होंने कहा कि नियम और कानून के दायरे में ही राम रहीम को परोल मिली है। उन्हें नहीं पता कि डेरा सच्चा सौदा के मुखिया को परोल मिली है, हां यदि ऐसा है तो निश्चित तौर पर नियमों का पालन हुआ होगा।
आम कैदी की तरह राम रहीम के भी अधिकार
हरियाणा के जेल मंत्री रंजीत सिंह चौटाला का कहना है कि किसी आम कैदी की तरह राम रहीम को भी कानूनी लाभ हासिल करने का हक है। उन्हें परोल हासिल करने का अधिकार है। तीन से पांच साल की सजा काटने के बाद कोई भी कैदी अपने मूल अधिकार के तहत परोल के लिए अर्जी लगा सकता है। बता दें कि शनिवार यानी 21 जनवरी को वो सुनारिया जेल से परोल पर बाहर आए। इससे पहले अक्टूबर 2022 में भी 40 दिन के लिए परोल मिली थी।डेरा चीफ के परिवार ने जेल अथॉरिटी के सामने एक महीने के लिए परोल की अर्जी लगाई थी।
पहले भी ले चुके हैं परोल का फायदा
यहां पर ध्यान देने वाली बात है कि हरियाणा पंचायत चुनाव और आदमपुर असेंबली चुनाव के समय भी राम रहीम परोल पर जेल से बाहर निकलने में कामयाब रहे।वह 2017 से हरियाणा की सुनारिया जेल में कैद है, जहां वह सिरसा में अपने आश्रम के मुख्यालय में दो महिला शिष्यों के साथ बलात्कार करने के आरोप में 20 साल की सजा काट रहा है। इससे पहले फरवरी में डेरा प्रमुख को तीन हफ्ते की फरलो दी गई थी।जबकि पैरोल का अर्थ है एक कैदी की रिहाई या तो एक विशेष उद्देश्य के लिए अस्थायी रूप से या पूरी तरह से एक सजा की समाप्ति से पहले, अच्छे व्यवहार के वादे पर, एक फरलो जेल से दोषियों की अल्पकालिक अस्थायी रिहाई है।
यह था मामला
राम रहीम को अगस्त 2017 में पंचकूला की एक विशेष सीबीआई अदालत ने दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के लिए दोषी ठहराया था।सीबीआई ने 2003 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों पर मामला दर्ज किया था और कुरुक्षेत्र में पुलिस स्टेशन सदर में पहले दर्ज मामले की जांच अपने हाथ में ली थी।आरोप है कि कुरुक्षेत्र के गांव खानपुर कोलियान निवासी रणजीत सिंह की हत्या 10 जुलाई 2002 को उस समय कर दी गई जब वह हरियाणा के जिला कुरुक्षेत्र के गांव खानपुर कोलियान में अपने खेतों में काम कर रहा था।गहन जांच के बाद, सीबीआई ने 2007 में छह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया और 2008 में आरोप तय किए गए, जबकि 8 अक्टूबर, 2021 को अदालत ने रहीम और चार अन्य को डेरा के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराया।
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