Central Protection Act लाने के लिए डॉक्टरों ने भरी हुंकार, मोर्चा खुला बंगाल वाया यूपी टू दिल्ली-पंजाब, समझें क्या है ये कानून?
Kolkata Doctor Murder Case: कोलकाता महिला डॉक्टर रेप-हत्याकांड मामले में अन्य डॉक्टरों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। कोलकाता से लेकर दिल्ली और पंजाब तक हड़ताल में बैठे डॉक्टरों ने सरकार से सेंट्रल प्रोटेक्शन राइट एक्ट लाने की मांग की है।
सेंट्रल प्रोटेक्शन राइट एक्ट की मांग
Kolkata Doctor Murder Case: कोलकाता स्थित सरकारी अस्पताल में महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और उसकी हत्या के विरोध में तमाम राजनीतिक पार्टियों के अलावा सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया-कम्युनिस्ट’ (एसयूसीआई-सी) ने रैलियां निकालीं। हाथों में झंडे और पोस्टर थामे एसयूसीआई (सी) कार्यकर्ताओं ने चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में ‘‘विफलता’’ के लिए राज्य सरकार की आलोचना की। उधर, अस्पताल में चिकित्सक के साथ बलात्कार और फिर उसकी हत्या किए जाने की घटना के विरोध में देशभर में डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं। मामला तूल पकड़ चुका है और अब ये अन्य राज्यों में भी अपना असर छोड़ रहा है। देशभर के डॉक्टरों ने सरकार से सेंट्रल प्रोटेक्शन राइट एक्ट लाने की मांग की है। आइये समझते हैं इस कानून से डॉक्टरों को क्या सुरक्षा मिलेगी?
दिल्ली में आरएमएल अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों ने कोलकाता की घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। आरएमएल अस्पताल के डॉ. आकाश ने कहा कि हम सभी डॉक्टरों और आम लोगों से बड़ी संख्या में पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए सामने आएं। हम शांतिपूर्वक सरकार के सामने अपने मुद्दे रख सकें और बंगाल के अपने सहयोगी के लिए न्याय मांग सकें, जिन्होंने इस बर्बर और वीभत्स कृत्य में अपनी जान गंवा दी। हम बंगाल में विरोध कर रहे अपने दोस्तों को भी बताना चाहते हैं कि वे इस लड़ाई में अकेले नहीं हैं, देश भर के सभी डॉक्टर उनके साथ एकजुटता से खड़े है। हम एक केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम की मांग करते हैं। सरकार की ओर से जब तक हमें ठोस कदम उठाने का आश्वासन नहीं मिलता तब तक हमारा विरोध जारी रहेगा ।
उधर, अमृतसर में गुरु नानक देव अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों ने इस विभत्स कृत्य के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
क्या होता है सेंट्रल प्रोटेक्शन राइट
इस एक्ट के तहत हेल्थ सर्विस प्रोफेशनल्स और क्लिनिकल प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक 2022, जिसे केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम (Central Security Act) कहा जाता है। विधेयक को दो साल पहले लोकसभा में पेश किया गया था। इस विधेयक का सीधा उद्देश्य डॉक्टरों (महिला-पुरुष दोनों) के खिलाफ हिंसा को परिभाषित करना और ऐसे कृत्यों के लिए सजा का निर्धारण करना है।
इस प्रस्तावित कानून में हिंसा को परिभाषित किया गया है। ऐसे कार्य कृत्यों को प्रतिबंधित और अपराधियों के लिए दंड निर्धारित किया गया है। यह घटनाओं की रिपोर्टिंग को भी अनिवार्य बनाता है। इसमें के तहत सार्वजनिक, संवेदनशीलता और शिकायत निवारण के प्रावधान शामिल हैं। ऐसे मामलों की जांच के लिए एक पैनल बनाने का प्रावधान है।
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इस कानून के तहत डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों तथा अस्पतालों को हिंसा से सुरक्षा प्रदान करना है। विधेयक में हिंसा को शारीरिक हमले, मौखिक दुर्व्यवहार, संपति को नुकसान पहुंचाने और चिकित्साकर्मियों के कार्यों के अवरोध के रूप में परिभाषित किया गया है।
क्या है सजा का प्रावधान
इस नए अधिनियम के तहत अपराध संज्ञेय और गैर जमानती हैं, जिसका सीधा अर्थ है कि आरोपियों को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है। यह प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से मुकदमा चलाया जा सकता है। जो भी व्यक्ति धारा-3 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए हिंसा का कोई कृत्य करता पाया जाएगा या ऐसी घटनाओं को बढ़ाया या उकसाएगा उसे संबंधित धाराओं में दंडित किया जाएगा। इसके तहत 6 माह की सजा, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसका जुर्माना पांच हजार रुपये से कम नहीं होगा। जुर्माने की राशि को भी पांच लाख तक बढ़ाया जा सकता है।
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