कहां से हैं पेरिस ओलंपिक में ब्रांज मेडल जीतने वाली मनु भाकर? हरियाणा के उस जिले का इतिहास समझिए

Paris Olympics 2024: पेरिस ओलंपिक में भारत को पहला मेडल (ब्रांज) दिलाने वाली शूटर मनु भाकर (Shooter Manu Bhaker) हरियाणा के झज्जर जिले के गोरिया गांव (Goria village ) की रहने वाली हैं। आइये जानते हैं उनका पेरिस ओलंपिक तक सफर कैसा रहा है और वह जिस जिले से ताल्लुक रखती हैं, उसका ऐतिहासिक और भौगोलिक परिदृश्य क्या है?

ब्रांज मेडल विजेता मनु भाकर

Paris Olympics 2024: पेरिस ओलंपिक में भारत को पहला मेडल मिल चुका है। शूटर मनु भाकर (Shooter Manu Bhaker) ने 10 मीटर एयर पिस्टल में ब्रांज मेडल जीता। स्टार निशानेबाज मनु भाकर ने फाइनल में तीसरे स्थान पर रहते हुए कांस्य पदक के साथ पेरिस ओलंपिक में भारत के पदक का खाता खोला और ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज बनीं। मनु ने आठ निशानेबाजों के फाइनल में 221.7 अंक के साथ तीसरे स्थान पर रहते हुए कांस्य पदक (Bronze Medal) अपने नाम किया। भारतीय निशानेबाज जब बाहर हुईं तो दक्षिण कोरिया की येजी किम से सिर्फ 0.1 अंक पीछे थीं, जिन्होंने अंतत: 241.3 अंक के साथ रजत पदक जीता। किम की हमवतन ये जिन ओह ने 243.2 अंक के फाइनल के ओलंपिक रिकॉर्ड स्कोर के साथ स्वर्ण पदक (Gold Medal) अपने नाम किया। आइये जानते हैं कि पेरिस ओलंपिक में नाम रोशन करने वाली मनु भारत के किस राज्य से हैं और वहां का इतिहास क्या है?

मनु भाकर के बारे में (About Manu Bhaker)मनु भाकर का जन्म हरियाणा राज्य के झज्जर जिले के गोरिया गांव में 18 फरवरी 2002 को हुआ। उनकी मां स्कूल में बतौर शिक्षिका बच्चों की शिक्षित कर रही हैं और पिता मरीन इंजीनियर रहे हैं। मनु बचपन से ही निशानेबाजी के साथ मुक्केबाजी, एथलेटिक्स, स्केटिंग और जूडो कराटे पर हाथ आजमाती रहीं। साल 2018 में मेक्सिकों में इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन (ISSF) में भारत के लिए मनु भाकर ने दो गोल्ड मेडल जीते थे। लंदन ओलंपिक के बाद भारत का निशानेबाजी में यह पहला ओलंपिक पदक है। रियो ओलंपिक 2016 और टोक्यो ओलंपिक से भारतीय निशानेबाजी टीम को खाली हाथ वापस आना पड़ा था।

झज्जर जिले का इतिहास (History of Jhajjar)

झज्जर जिले का इतिहास काफी गौरवपूर्ण रहा है। झज्जर रक्षा के क्षेत्र में आज भी देश को वीर सैनिक दे रहा है। झज्जर जिले से भारी संख्या में युवा भारतीय सेना में शामिल हैं। पूर्व सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग (Dalbir Singh Suhag) भी इसी जिले से ताल्लुक रखते हैं। 1857 के विद्रोह (Revolt 1857) में यहां से कई स्वतंत्रता सेनानियों ने भाग लिया, जिनमें से तीन स्वतंत्रता सेनानियों को दिल्ली के चांदनी चौक कोतवाली में फांसी की सजा दी गई। नौ जनवरी को बल्लभगढ़ से राजा नाहर सिंह को फांसी पर चढ़ा दिया गया। इसके अलावा झज्जर के ही नवाब अब्दुर रहमान और नवाब अहमद अली को 23 जनवरी 1858 को फांसी दे दी गई।

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