CM भगवंत मान का बड़ा आरोप, पूर्व सीएम चन्नी के भतीजे ने IPL खिलाड़ी से मांगे से दो करोड़ रुपये

​Punjab News in Hindi: मान ने 22 मई को चन्नी के भतीजे जशन पर आरोप लगाए थे, लेकिन क्रिकेटर का नाम उजागर नहीं किया था। बुधवार को उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में जस इंदर सिंह और उनके पिता मनजिंदर सिंह को पेश किया। मुख्यमंत्री ने कहा, जस इंदर सिंह किंग्स इलेवन पंजाब (पंजाब किंग्स) में शामिल थे, हालांकि उन्हें कोई मैच खेलने का मौका नहीं मिला था।

Bhagwant Mann

सीएम भगवंत मान (स्क्रीन ग्रैब)

तस्वीर साभार : भाषा

Punjab News in Hindi: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को आरोप लगाया कि उनके पूर्ववर्ती चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे ने सरकारी नौकरी दिलाने में मदद के लिए क्रिकेटर जस इंदर सिंह से दो करोड़ रुपये मांगे थे। हालांकि, कांग्रेस के नेता चन्नी ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया।

मान ने 22 मई को चन्नी के भतीजे जशन पर आरोप लगाए थे, लेकिन क्रिकेटर का नाम उजागर नहीं किया था। बुधवार को उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में जस इंदर सिंह और उनके पिता मनजिंदर सिंह को पेश किया। मुख्यमंत्री ने कहा, जस इंदर सिंह किंग्स इलेवन पंजाब (पंजाब किंग्स) में शामिल थे, हालांकि उन्हें कोई मैच खेलने का मौका नहीं मिला था।

धर्मशाला में मैच के दौरान हुई थी मुलाकात

सीएम मान ने कहा, वह हाल ही में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) मैच देखने धर्मशाला गए थे, जहां उनकी मुलाकात जस इंदर सिंह से हुई थी। मुख्यमंत्री ने चन्नी के साथ मनजिंदर सिंह की तस्वीरें भी दिखाईं। मान ने दावा किया कि जस इंदर सिंह और उनके पिता चन्नी से यहां पंजाब भवन में मिले थे। चन्नी ने उन्हें बताया था कि उनका काम हो जाएगा। फिर उन्हें चन्नी के भतीजे जशन से मिलने के लिए कहा गया। मुख्यमंत्री के अनुसार, पूर्व रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी जस इंदर सिंह ने विजय मर्चेंट ट्रॉफी और कूच बिहार ट्रॉफी सहित अन्य टूर्नामेंट में भी पंजाब का प्रतिनिधित्व किया।

लोक सेवा आयोग की दी थी परीक्षा

मुख्यमंत्री ने कहा कि जस इंदर सिंह ने पंजाब लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी थी और खेल कोटे के तहत सरकारी नौकरी के लिए पात्र थे। मान ने कहा कि उन्होंने खेल श्रेणी की 132.5 अंकों की कट-ऑफ के मुकाबले 198.5 अंक प्राप्त किए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जस इंदर सिंह का परीक्षा परिणाम सामान्य वर्ग में माना गया जबकि उन्होंने खेल कोटे से आवेदन किया था। वह खेल कोटे में अव्वल रहे थे। मान ने कहा कि बाद में, उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से मुलाकात की, जिनके विशेष कर्तव्य अधिकारी (ओएसडी) एम. पी. सिंह ने उन्हें पूरा मामला पढ़कर सुनाया। अमरिंदर सिंह ने गृह विभाग को पत्र लिखकर कहा कि उनके मामले पर विचार किया जाए। लेकिन इस बीच, उनकी जगह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया गया।

कैबिनेट बैठक से पहले पैसे का इंतजाम करने को कहा

मुख्यमंत्री ने कहा कि जस इंदर सिंह और उनके पिता भी चन्नी से मिले, जिन्हें तत्कालीन प्रमुख सचिव हुस्न लाल ने मामले के बारे में जानकारी दी थी।

मान ने कहा कि चन्नी ने उनसे कहा कि उनका काम हो जाएगा और मामला कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। उसके बाद उसे चन्नी के भतीजे से मिलने को कहा गया। मान ने कहा, भतीजे ने उनके दस्तावेजों को देखा और उसका नाम जशन था। मुख्यमंत्री मान ने कहा कि चन्नी के भतीजे ने जस इंदर के पिता से कहा कि उनका काम हो जाएगा, लेकिन इसके लिए पैसे देने होंगे। मान ने आरोप लगाया कि जस इंदर सिंह को अगली कैबिनेट बैठक से पहले पैसे की व्यवस्था करने के लिए कहा गया था।

खिलाड़ी ने दिए थे दो लाख

मान ने कहा , खिलाड़ी ने चन्नी के भतीजे को दो लाख रुपये दिए, इसपर भतीजे ने खिलाड़ी को गाली बकते हुए कहा कि दो लाख रुपये नहीं दो करोड़ रुपये देने होंगे। इस बीच, चन्नी ने मान पर अपने झूठे आरोप लगाकर उन्हें और उनके परिवार को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया।

चन्नी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, वह (मान) अपने आधारहीन आरोपों से मुझे बदनाम करना चाहते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कभी किसी को अपने भतीजे से नौकरी के लिए मिलने को नहीं कहा था।

उच्च न्यायालय पहुंचा था मामला

उन्होंने कहा कि खेल कोटे के तहत सरकारी नौकरी में नाम नहीं आने पर खिलाड़ी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उसकी याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। चन्नी ने कहा कि अगर अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने उन्हें नौकरी नहीं दी तो जरूर उनमें कोई कमी रही होगी। चन्नी के साथ नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और विधायक परगट सिंह भी थे। संवाददाता सम्मेलन में चन्नी के छोटे भाई के बेटे जशन भी मौजूद थे। चन्नी ने कहा कि जशन डॉक्टर है और एमडी की तैयारी कर रहा है। जशन ने कहा कि वह जस इंदर सिंह या उनके पिता से कभी नहीं मिले।

परगट सिंह ने कहा कि केवल ओलंपिक, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेताओं को प्रथम श्रेणी अधिकारी की नौकरी की पेशकश की जाती है और संबंधित खिलाड़ी खेल कोटा के तहत नौकरी के लिए पात्र नहीं था।

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