Chandigarh: सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला, चंडीगढ़ में स्वतंत्र आवासीय घरों को अपार्टमेंट में बदलने पर रोक

Chandigarh: चंडीगढ़ में स्‍वतंत्र आवासीय इकाइयों को अपार्टमेंट में बदलने पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला शहर की विरासत को नुकसान होने से बचाने के लिए दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए दी। कोर्ट का यह फैसला फेज-1 में स्थित सेक्टर-1 से सेक्टर-30 तक के सभी मकानों पर लागू होगा।

सुप्रीमकोर्ट ने अपार्टमेंट में बदलने पर लगाई रोक

मुख्य बातें
  • चंडीगढ़ अपार्टमेंट रूल्स, 2001 के तहत सभी योजना पर रोक
  • चंडीगढ़ के फेज 1 को घोषित किया गया है हेरिटेज जोन
  • कोर्ट का यह फैसला सेक्‍टर.1 से 30 तक पर लागू होगा


Chandigarh: चंडीगढ़ में स्‍वतंत्र आवासीय इकाइयों को अपार्टमेंट में बदलने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट का यह फैसला फेज-1 में स्थित सेक्टर-1 से सेक्टर-30 तक के सभी मकानों पर लागू होगा। इन सभी सेक्‍टरों को हेरिटेज जोन घोषित किया गया है। वहीं, फेज-1 बनाए गए सभी अपार्टमेंट्स को अब अवैध घोषित कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला शहर की विरासत को बचाने के लिए देते हुए मौजूदा चलन पर भी तीखी टिप्पणी की है। जस्टिस बीआर गवई और ज‌स्टिस एमएम सुंदरेश ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि, जब तक केंद्र सरकार द्वारा इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता है, तब तक चंडीगढ़ प्रशासन ‘चंडीगढ़ अपार्टमेंट रूल्स, 2001’ के तहत किसी भी योजना को मंजूरी नहीं देगा।

बता दें कि, चंडीगढ़ शहर की विरासत का हवाला देते हुए शहर के मुख्य वास्तुकार एमएन शर्मा व कई अन्‍य संगठन वर्ष 2006 से इसका विरोध कर रहे थे। इस विरोध के कारण अपार्टमेंट के नियमों को 2008 के बाद निरस्त कर दिया गया था। हालांकि इसके बाद भी लोगों ने इसका तोड़ निकाल लिया। लोग घर खरीदते और उसे तोड़कर उन्हें फ्लोर के हिसाब से बनवाकर बेच रहे थे। जिसके बाद यह पूरा मामला अदालत पहुंचा। विरोध करने वाले लोगों का दावा था कि, लोग शहर के विरासत को नुकसान पहुंचा रहे हैं और प्रशासन कार्रवाई करने की जगह आंखें मूंद कर बैठी है।

साल 2016 में पहली बार हाईकोर्ट पहुंचा था मामलाइस मामले को लेकर सबसे पहले सेक्टर 10 के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में 2016 में एक याचिका दायर की थी। हालांकि हाईकोर्ट ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि, "आवासीय भूखंड पर निर्मित किसी भी आवासीय भवन को सिर्फ एक परिवार के रहने तक सीमित नहीं किया जा सकता। साथ ही कोर्ट ने यह भी माना था कि, यह याचिका चंडीगढ़ मास्टर प्लान 2031 में भी रूकावट डालेगा। जिसके बाद याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ में एकल आवासीय इकाइयों को अपार्टमेंट में बदलने की आलोचना करते हुए कहा कि, यह भारत का पहला नियोजित शहर है। इसकी विरासत और स्थिरता के सिद्धांत की सुरक्षा के लिए इसपर रोक जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि "प्रासंगिक अधिनियमों और नियमों को ध्‍यान में रखकर चंडीगढ़ के पहले चरण में आवासीय इकाई के विखंडन, विभाजन, द्विभाजन और अपार्टमेंटकरण निषिद्ध लागू रहेगा।

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