गुरुग्राम के किसानों को राहत : बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से बर्बाद फसल का मिलेगा हर्जाना, जानिए कब तक खाते में आएगी रकम

Gurugram News : इस महीने हुई बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से किसानों को खासा नुकसान झेलना पड़ा था। प्रकृति की दोहरी मार से किसानों की 57 हजार एकड़ फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई थी। इसे देखते हुए सीएम मनोहर लाल खट्टर ने किसानों को मुआवजे का आश्वासन दिया है।

Farmers

गुरुग्राम के किसान (सांकेतिक चित्र)

Gurugram News : अप्रैल महीने की शुरुआत में हुई जोरदार बारिश और ओलावृष्टि से 10 हजार किसानों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा था। बेमौसम बरसात के समय किसानों की तकरीबन 57 हजार एकड़ फसल प्रभावित हो गई थी। वहीं, जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया है कि बर्बाद हुई फसल में 70% भूमि का सत्यापन कर लिया गया है और जल्द ही मुआवजे की प्रकिया भी शुरू हो जाएगी।

मई के अंत तक मिलेगा मुआवजा

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने नुकसान का दंश झेल रहे किसानों को मुआवजे को लेकर आश्वस्त किया। CM खट्टर ने भरोसा दिलाते हुए किसानों से कहा कि मई के अंत तक मुआवजे की राशि सभी पीड़ित किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी। बता दें कि जिला प्रशासन के मुताबिक, गुरुग्राम में बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा लेने के लिए 'ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल' पर 10 हजार किसानों ने आवेदन किया है। वहीं, डिप्टी सीएम दुष्यंत कुमार चौटाला (Dushyant Kumar Chautala) ने शनिवार को नष्ट फसलों के सत्यापन के कार्य की स्थिति जानी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े चौटाला ने न सिर्फ फसलों से हुए नुकसान का जायजा लिया, बल्कि राज्य की सभी मंडियों में हो रही रबी की फसल की खरीद का अपडेट भी लिया।

क्या कहते हैं आंकड़े

गुरुग्राम में कुल तीन मंडिया हैं.. पटौदी, सोहना और फर्रुखनगर। इन तीनों मंडियों में फसलों के खरीद की बात की जाए तो अब तक यहां किसानों से 69 हजार क्विंटल सरसों और 1.5 लाख क्विंटल गेहूं खरीदा जा चुका है। पुराने आंकड़ों पर नजर डालें तो इस समय तक पिछले साल 1.8 लाख क्विंटल गेहूं की खरीद हो चुकी थी।

खट्टर सरकार पर कांग्रेस का निशाना

कांग्रेस के ओबीसी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत यादव ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, 'इस सरकार में किसानों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कुछ जगहों पर मुआवजे का आवेदन करते समय किसान विवरण नहीं भर पा रहे हैं। सरकार के दावे जमीनी हकीकत से बिल्कुल उलट हैं।

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